भारत में रह कर नेपाल की मोबाइल सेवा इस्तेमाल करने को मजबूर हैं लोग

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संचार सेवाओं की बेहतरी के लिये जंतर मंतर पर घरने पर बैठै धामी

आज के डिजिटल युग में सुनने में अजीब लगता है कि देश के लोग किसी और देश की संचार सेवाओं का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं। धारचूला में संचार व्यवस्थाओं के नाकाफ़ी होने का हवाला देते हुए इलके के परव विधायक और प्रदेश के दबंग कांग्रेसी नेता हरीश धामी ने केंद्र सरकरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। धामी दिल्ली के जंतर मंतर पर इस मुद्दे पर अनशन पर बैठे इलाके आंदोलनकारियों के बीच पहुंचे और केंद्र सरकरा से इस मसले पर जल्द कार्यवाही करने की मांग करी। धामी ने बताया कि भारत-नेपाल और भारत- तिब्बत सीमा से उत्तराखंड का धारचूला का इलाका सटा हुआ है। वहां के इलाकों में किसाी भी टेलिकाॅम आॅपरेटर का नेटवर्क सही नही है औऱ भारतीय मोबाईल कंपनियों की सेवाऐं न के बराबर हैं। इसके चलते इलाके के अधिकतर लोग सीमा पार नेपाल के टेलिकाॅम आॅपरेटरों के सिमों का इस्तेमाल करते हैं। ये न सिर्फ लोगों की जेबों पर महंगा पड़ता है क्योंकि लोगों को नेपाल के आॅपरेटरों की सेवाऐं लेने के लिये इंटरनेशनल रोमिंग दरों का भुगतान करना पड़ता है वहीं इसके चलते ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा भी बन सकता है।

संचार व्यवसथाओं के दुरुस्त न होने के कारण न सिर्फ मोबाइल सेवाओं पर असर पड़ता है बल्कि अन्य रोज़ाना के काम जैसे गैस बुकिंग, एटीएम सेवाऐं और अन्य बैंकिंग सेवाओं में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। धामी ने कहा कि जहां एक तरफ केंद्र सरकार और खासतौर पर प्रधानमंत्री मोदी देश को कैशलेस इकाॅनमी बनाने पर ज़ोर दे रहे हैं जिसे हासिल करने के लिये मोबाइल बैंकिंग पर ज़ोर दिया जा रहा है वहीं देश के दूर दराज़ के इलाकों में संचार सेवाओं की ये तस्वीर हकीकत से रूबरू कराती हैं। उनके मुताबिक राज्य और केंद्रीय स्तर पर हर जगह ये मसला उठाया गया है लेकिन कहीं से कोई समाधान नहीं निकला। जिसके वजह से इलाके के लोगों को दिल्ली में अनशन करने पर मजबूर होना पड़ा है।