पलायन रोकने में कारगर होगा ”यशपाल का माॅडल”

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    यूं तो पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में प्रतिभाओं की लंबी कतार है, लेकिन इस राज्य में एक ऐसा जिला है रुद्रप्रयाग जो अपने अलगपन के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। इसी जिले का एक गांव मक्कू मठ है, गांव के एक निवासी है देश के एक मुख्य पक्षी प्रेमी जिनका नाम है यशपाल नेगी, 54 साल के बहुत ही सरल जिंदगी जीने वाले यशपाल अपनी जिंदगी में कुछ ऐसा कर रहे है कि वह लोगों का रोल माॅडल बनकर उभर रहे हैं।

    यशपाल एक गाईड हैं जो हफ्ते के 4-5 दिन पक्षी प्रेमी पर्यटकों को घूमाते हैं, अौर इन सब में उनका साथ देता है उनका 24 साल का बेटा बिपिन जोकि पक्षी प्रेमियों को अपनी जीप में लाते है। यशपाल की पत्नी उर्मिला देवी अपने तीन कमरों के घर में अायें मेहमानों को रुकने से लेकर उनके खाने-पीने का इंतजाम करती हैं। यशपाल के इस काम कि खास बात हैं कि उनका परिवार उनके साथ मिलकर काम करता है और जरुरत पड़ने पर वे खुद गांव के युवाओं को काम देते हैं।

    yashpal

    यशपाल साल 2013 की आपदा से पहले काकड़ागाड़ में अपना बर्ड वाचिंग केंद्र चलाते थे। आपदा के बाद उन्होंने अपने पैतृक गाँव मक्कू में ही आने वाले बर्ड वॉचर के लिए घर पर ही होम स्टे खोला है, जो बरसात के अलावा साल भर भरा रहता है। यशपाल अपनी जन्मभूमि में एक शांत और बेहतर जिंदगी जीते है। उनकी पत्नी बताती हैं, “आधा किलो चावल ले कर बच्चों को खिला और खेत का काम करके 10 किलोमीटर नीचे काकड़ागाड़ जाती ताकि अपने पति की मदद कर सकें।”

    साल 2000 से पहले यशपाल नेगी, पंचकेदार में ट्रेक गाइड का काम करते थे,  2000 में उन्होंने कॉर्बेट नेशनल पार्क से 7 दिन के नेचर गाइड का कोर्स किये। यंही से उनके जीने का नजरिया बदल गया। आज वे देश में पक्षियों की पाई जाने वाली कुल 1200 प्रजातियों में से उत्तराखंड की 650 में से इस क्षेत्र की 300 प्रजातियों के विशेषज्ञ हैं। वे हिमालयी तीतर वर्ग की पक्षियों – मोनाल, कोकलाश, हिल पैंतीस ओर रेड फजेंट के विशेषज्ञ हैं, जिस कारण देश के सर्वश्रेष्ठ पक्षी प्रेमियों में से आधे उनके पास आकर रुक चुके हैं।

    यशपाल नेगी की सादगी भरी जिंदगी अपने अाप में एक प्रेरणा है,  संकटों के दौर में भी वे परेशानियों से भागे नही, बल्कि अपने परिवार के साथ मिलकर उन्होंने अपने अास पास की प्रकृति को शौक ओर आजीवका का साधन बनाया।