शिक्षा के अधिकारों की अनदेखी पर बाल आयोग गंभीर

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    देहरादून। बाल आयोग ने राज्य में प्राइमरी विद्यालयों में गिरते शिक्षा स्तर व शिक्षा के अधिकार का पालन न होने को गंभीरता से लिया है। आयोग ने मुख्य सचिव को इस दिशा में सुधार के लिए सख्त कदम उठाने के दिशा-निर्देश दिए हैं। साथ ही आयोग ने रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल द्वारा जनपद में शिक्षा के सुधार के लिए अपनाई गई पहल से सीख लेने की नसीहत भी दी।

    मंगलवार को उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र खंडूरी की ओर से ‘प्रथम’ एनजीओ की सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि प्रदेश में 50 फीसद से भी कम बच्चें प्राथमिक शिक्षा ग्रहण कर पाते हैं। यह प्रदेश के भविष्य के लिए चिंता की बात है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में प्राइमरी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर में बड़ी गिरावट पाई है। साथ ही यह भी पाया है कि शिक्षा का अधिकार भी लागू नहीं हो रहा है।

    आयोग के अध्यक्ष ने रुद्रप्रयाग जनपद में शिक्षा सुधार के लिए लागू की गई व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि रुद्रप्रयाग जनपद ने शिक्षा सुधार में मिशाल पेश की है। उन्होंने कहा कि जब तक सरकारी अधिकारी प्राइमरी शिक्षा में सुधार के लिए परोक्ष रूप से भागीदारी नहीं निभाएंगे, तब तक शिक्षा में सुधार आना असंभव है। उन्होंने इस संबंध में मुख्य सचिव को सभी जनपदों में रुद्रप्रयाग की तर्ज पर शिक्षा में सुधार करने के निर्देश दिए हैं।
    जनपद रुद्रप्रयाग से सीख लें
    आयोग के अध्यक्ष खंडूरी ने कहा कि रुद्रप्रयाग जनपद के डीएम मंगेश घिल्डियाल ने जिला, ब्लॉक, तहसील स्तर में सरकारी अधिकारियों को दूरस्थ क्षेत्रों के विद्यालय आवंटित किए हैं। ये अधिकारी माह में दो दिन स्कूलों में शिक्षा गुणवत्ता की जांच करने पहुंचते हैं। साथ ही अधिकारी बच्चों की कॉपी, पेंसिल, बैग जैसी दैनिक जरुरतों को भी पूरा करते हैं। साथ ही बच्चों को सैनिक स्कूलों की परीक्षा की तैयारी भी कराई जाती है।