पर्यटन बढ़ाने के लिये यात्रा चले 12 महीने

चारधाम

उत्तराखंड के चारधामों, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कमाट बंद होने के साथ-साथ चारधाम यात्रा के इस पड़ाव की भी समाप्ती हो गई।

चारों भगवानों को उनके सरर्दियों के निवास या ग्द्दीस्थल उनके पुजारियों के साथ ले जाया गया है। अब ये सभी अगले मौसम में वापस लौटेंगे। बद्रीनाथ के देव, भगवान विष्णु की पूजा अब पांडुकेश्वर में होगी, ऊखीमठ बाबा केदार का सर्दियों का घर होगा, मां गंगा सर्दियों में मुकबा में रहेंगी और देवी यमुनोत्री खरसली में निवास करेंगी।

पिछले कई सालों से सरकारें और अधिकारी इस कोशिश में लगे हैं कि चारधाम यात्रा सारे साल जारी रहे। ये उम्मीद की जा रही है कि इन देवी-देवताओं के सर्दी के घर भी श्रद्धालुओं को अपनी तरफ बुलाते रहेंगे। सर्दियों के मौसम में धार्मिक पर्यटन से ही राज्य के पहाड़ी इलाकों में अर्थव्यवस्था सुचारू रूप से चल सकती है। लेकिन, कुछ कारणों से ये सुझाव अभी घरातल पर नही आ सका है।

 

सर्दियों में देवभूमि आने वाले श्रद्धालुओँ की संख्या, मई-नवंबर के दौरान यहां आये नौ लाख पर्यटकों के सामने कुछ भी नही है।

लेकिन अघिकारी आशावान हैं, उनका कहना है कि ये कुछ समय की ही बात है जब सर्दियों में भी पर्यटकों सी संख्या, गर्मियों में आने वाली संख्या जैसी हो जायेगी। न्यूजपोस्ट से बात करते हुए, चारधाम यात्रा विकास परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद मंमगाई ने कहा कि “चारधाम यात्रा को सारे साल जारी रखने के लिये राज्य सरकार सभी जरूरी कदम उठा रही है। ऑल वेदर रोड, जन सुविधाऐं, पांडुकेश्वर, ऊखीमठ, मुकबा और खरसली के प्रचार प्रसार होने से यहां सारे साल पर्यटक औऱ श्रद्दालू आते रहेंगे और यहां के लोगों के लिये व्यवसाय और रोजगार के मौके बने रहेंगे।”

सरकार को यकीन है की उसके द्वारा उठाये जा रहे कदमों से जल्द ही नतीजे सामने आयेंगे। लेकिन ये ऑलवेदर रोड, बेहतर जन सुविधाओं औऱ दूरसंचार की बेहतर व्यवस्थाओँ के होने के बाद होगा। अधिकारियों को यकीन है कि एक बार ये सभी काम पूरे हो गये, तब ही उत्तराखंड के ऑफ बीट पर्यटक स्थलों को राज्य के पर्यटन के नक्शे पर जगह मिलेगी।