टिहरी: दिग्वाली के ग्रामीणों ने बंजर जमीन को किया आबाद

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टिहरी
कोरोना काल में टिहरी जिले के दिग्वाली गांव के ग्रामीणों ने स्वरोजगार की दिशा में कदम बढ़ाकर मिसाल कायम की है। ग्राम प्रधान की पहल पर ग्रामीणों ने गांव की बंजर भूमि पर सिहपर्णी के औषधीय पौधों की खेती शुरू कर स्वरोजगार अपनाया है। सिहपर्णी की खेती से ग्रामीणों को अच्छी आमदानी होने के उम्मीद है।
नरेंद्रनगर ब्लॉक के ग्राम पंचायत दिग्वाली के प्रधान विनय रणाकोटी ने ग्रामीणों को गांव में ही स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया। ग्राम पंचायत की जामरी, सकन्याणी तौक में वर्षों से बंजर पड़ी जमीन पर गांव के करीब पचास महिला-पुरुषों ने छह हेक्टेयर भूमि पर औषधीय खेती का मन बनाया। ग्राम प्रधान ने बताया कि लॉक डाउन के चलते गांव के लोग रोजी-रोटी के लिए चिंतित थे। 15 मई को कृषि विभाग की सहायता से बंजर भूमि पर 50 हजार सिहपर्णी (डांडेलियांन) के औषधीय पौधों को रोपा गया, जिसके लिए ग्रामीणों को मनरेगा के तहत मेहनताना भी दिया गया। सिहपर्णी की खेती से साल  में तीन बार उत्पादन लिया जा सकता है। इसके फूल, पत्तियां व जड़ औषधि के रूप में उपयोग में लाई जाती हैं। गांव के युवा विनोद रणाकोटी ने कहा कि ग्राम प्रधान की पहल सराहनीय है। कोरोना के चलते बड़ी संख्या में प्रवासी गांव लौटे हैं। सिहपर्णी आदि औषधीय पौधों की खेती से अच्छी आमदनी प्राप्त हो सकती है।
राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, रानीचौरी के चिकित्सक हरीश भट्ट का कहना है कि  सिहपर्णी  गुणकारी औषधीय पौधा है। इसमें विटामिन ए, बी, के, ई के साथ कई पौष्टिक तत्व पाये जाते हैं। यह मधुमेह, लीवर, उच्च रक्तचाप, त्वचा रोग एवं बढ़ते वजन को नियंत्रित करने में लाभकारी होता है।
मुख्य कृषि अधिकारी, टिहरी जेपी तिवारी का कहना है कि सिहपर्णी की खेती ग्रामीणों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी। इसकी सूखी पत्तियों से लेकर जड़ व फूल का पांच सौ से लेकर हजार रुपये प्रति किलो बाजार भाव है। इसको जंगली जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। फसल तैयार होने पर विभाग विपणन में ग्रामीणों की मदद करेगा।