प्रधानों के नियंत्रण में नहीं आ रहे प्रवासी, मदद की लगाई गुहार

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(गोपेश्वर) बाहरी राज्यों और अन्य जिलों से गावों में लौटने वाले प्रवासी गांव में प्रधानों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। बाहर से आने वालों को घर पर एकांतवास के आदेश के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों को दी गई है। लेकिन प्रधानों का कहना है कि व्यवस्थाएं बनाने के लिए न तो उनके पास कोई संसाधन ही हैं और न ही प्रवासी उनके नियंत्रण में आ रहे हैं।
गुरुवार को प्रधान संघ के ब्लाक अध्यक्ष सुशील खंडूरी के नेतृत्व में किमोली के प्रधान संजय कुमार, पूर्व प्रधान खिलदेव सिंह रावत सहित अन्य प्रधानों ने एसडीएम कर्णप्रयाग वैभव गुप्ता से अपनी समस्याएं रखते हुए शिकायत की। प्रधानों ने बताया कि कई प्रवासी बिना स्वास्थ्य परीक्षण के ही गांवों में पहुंच रहे हैं और वाहनों में भी शारीरिक दूरी का पालन कर रहे हैं। यही नहीं एकांतवास के नाम पर गांवों में रह रहे प्रवासी उनके निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं। प्रधानाें ने एसडीएम को बताया कि ब्लाक में घर पर एकांतवास के निर्देश के बाद भी अधिकतर प्रवासी गांवों में घूम रहे हैं, जिससे संक्रमण का खतरा बन रहा है।
प्रधानों ने बताया कि गांवों में व्यवस्थाएं बनाने के लिए ग्राम पंचायत विकास अधिकारी और ग्राम विकास अधिकारियों की ड्यूटी भी प्रशासन ने अन्यत्र लगाई है। जिससे गांवों में व्यवस्थाएं बिगड़ रही है। संगठन ने प्रशासन से इस संबंध में कार्रवाई करने की मांग की है। एसडीएम ने प्रधानों को आश्वासन दिया है कि मामले में उचित कार्रवाई की जायेगी।
गौरतलब है कि इस तरह की समस्यायें राज्य के अन्य जिलों के गांवों और उनके प्रधानों के द्वारा भी सामने लाई गई हैं।
कांग्रेस ने की सरकार से ग्राम प्रधानाें को दो-दो लाख रुपये का बजट देने की मांग
राज्य में आ रहे प्रवासी लोगों की मदद और उनकी हिफाजत की जिम्मेदारी प्रधानों को सौंपने पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि प्रवास से लौटे लोगों की देखभाल करने के लिए ग्राम प्रधानों को जिम्मेदारी तो दे दी लेकिन सरकार ने उन्हें कोई धन उपलब्ध नहीं कराया है। बगैर धन के प्रधानों से प्रवासियों की सेवा कराने का फैसला हास्यास्पद है। कांग्रेस ने सरकार से ग्राम प्रधानाें को दो-दो लाख रुपये का बजट देने की मांग की है।