वन गुर्जरों को लाया जाएगा मुख्यधारा में : जयराज

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(देहरादून) मौसम चक्र में तेजी से हो रहे बदलाव के बीच सतत विकास लक्ष्य की ओर बढ़ना एक बड़ी चुनौती बन गया है। इस चुनौती का सामना तभी किया जा सकता है जब सभी सरकारी विभाग, सतत विकास के क्षेत्र में कार्य करने वाले गैर सरकारी संगठन और आम नागरिक मिलकर कार्य करें। गैर सरकारी संगठन पैरवी दिल्ली, यूडीआई बनबसा और गति फाउंडेशन देहरादून की ओर से वन विभाग मुख्यालय स्थित मंथन सभागार में आयोजित सेमिनार में विभिन्न सरकारी विभागों और सामाजिक संगठनों के बीच हुई चर्चा में यह तथ्य सामने आया।

सेमिनार के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि वन प्रमुख जयराज ने कहा कि, “गैर सरकारी संगठनों को सरकारी विभागों और आम लोगों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के लिए आगे आना चाहिए। आज के दौर में क्लाइमेट चेंज को लेकर बातें बहुत हो रही हैं, लेकिन धरातल पर जो कार्य होना चाहिए, वह नहीं हो रहा है।” उन्होंने गैर सरकारी संगठनों और आम लोगों से आह्वान किया कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में जो कोई भी कार्य करना चाहे, वन विभाग उनकी हरसंभव मदद करेगा। जयराज के अनुसार आज के दौर में पानी की कमी सबसे बड़ी समस्या बन गई है और उनका विभाग लगातार इस दिशा में कार्य कर रहा है। वन प्रमुख ने जानकारी दी कि विभाग वन क्षेत्र को वन गुर्जरों से मुक्त करने की दिशा में कार्य कर रहा है और यह काम जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। वनों में रहने वाले गुर्जर समुदाय के लोगों को मुख्यधारा में लाया जाएगा।

यूएन क्लाइमेट टेक्नोलॉजी सेंटर एंड नेटवर्क के बोर्ड सदस्य सौम्या दत्ता ने पहाड़ी क्षेत्रों में अनियमित विकास का मुद्दा उठाया। सड़क निर्माण का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि, “पहाड़ी क्षेत्रों के लिए खास तरीके की सड़कें बनाई जानी चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। मैदानी क्षेत्रों के कंसेप्ट को उठाकर पहाड़ों में लागू किया जा रहा है, यह बहुत घातक है।” इस सत्र में पैरवी के अजय झा ने धरती पर लगातार बढ़ रहे तापमान का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि यदि इसे रोकने के लिए कार्य नहीं किया गया तो स्थितियां बेहद खराब हो जाएंगी।

यूकॉस्ट के महानिदेशक डा. राजेंद्र डोभाल ने सतत विकास की अवधारणा को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि, “इन दोनों शब्दों की प्रवृत्ति एक दूसरे से पूरी तरह से वितरीत है, लेकिन क्लाइमेट चेंज जैसी समस्या से निपटने के लिए हमें इन दोनों विपरीत प्रवृत्तियों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है।” वडिआ संस्थान से वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ प.स. नेगी और उत्तराखंड वन निगम के पूर्व प्रमुख एसटीएस लेप्चा ने भी इस सत्र में अपनी बात रखी। पर्यावरणविद वीरेंद्र पैन्यूली मुख्य वक्ता के रूप में शामिल हुए। यूएनडीपी के सुब्रतो पॉल, वन विभाग क्लाइमेट चेंज सेल की तृप्ति जुयाल और हॉर्टिकल्चर मिशन के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. सुरेश राम ने प्रेजेंटेशन दिया। गति फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने सभी का आभार व्यक्त किया।