उत्तराखंड राज्य बनने के बाद सबसे कठिन दौर में चार धाम यात्रा

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चार धाम
उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद चार धाम यात्रा इस बार सबसेे कठिन दौर से गुजर रही है। 2013 की आपदा के बाद भी इतने खराब हालात नहीं थेे, जैसा कोरोना काल में इस बार दिख रहे हैं। केदारनाथ जल प्रलय के बाद इस साल यात्रियों की संख्या के लिहाज से वर्ष 2014 में सबसे कम यात्री आने का रिकार्ड टूटने की आशंका दिख रही है। वर्ष 2014 में केवल पौने तीन लाख यात्रियों ने चार धाम की यात्रा की थी। जबकि 2019 में 30 लाख से ज्यादा यात्रियों ने चार धाम आने का रिकार्ड बनाया था।
-केदारनाथ आपदा के बाद भी नहीं हुए थे इतने खराब हालात
-यात्री संख्या से जुडे़ सवाल पर निगाहें 2014 पर टिक रही
स्थिति यह है कि जिस जून माह में यात्रा का चरम होता था, इस बार जून में इस बार चार धाम यात्रा शुरू होने की स्थिति ही स्पष्ट नहीं हो पाई है। आठ जून से धार्मिक स्थलों पर यात्रियों की आवाजाही की अनुमति मिल गई है, लेकिन चार धाम यात्रा का फैसला होना बाकी है। कोरोना काल यूं तो हर लिहाज से बुरा है, लेकिन उत्तराखंड की चार धाम यात्रा  रुकने से राज्य की आर्थिक स्थिति की कमर ही तोड़ दी है। परेशान हाल वो तमाम लोग भी हैं, जिनकी रोजी रोटी चार धाम यात्रा से जुड़ी है।
उत्तराखंड में केदारनाथ आपदा के बाद यह दूसरा मौका है, जबकि चार धाम यात्रा के बढ़ते कदमों पर ब्रेक लगा है। राज्य गठन के वर्ष 2000 से लेकर आपदा के वर्ष 2013 तक की बात करें, तो यात्रा खूब फली फूली थी। आपदा से एक साल पहले 2012 के सीजन में करीब 23 लाख यात्री उत्तराखंड आए थे। और तो और 2013 में आपदा आने से पहले चारों धामों में दस लाख यात्री अपनी आमद दर्ज करा चुके थे। आपदा के बाद 2014 में यात्रा शुरू की गई तो सिर्फ पौने तीन लाख लोग ही पहुंचे। इस बार बड़ा सवाल ये है कि यात्रियों की स्थिति आने वाले दिनों में क्या रहेगी। सरकार की अनुमति के बावजूद सभी जगह तीर्थ पुरोहित कम से कम 30 जून तक चार धाम यात्रा संचालित न करने की मांग कर रहे हैं। आने वाले दिनों में देवस्थानम बोर्ड को तय करना है कि यात्रा कब और कैसे चलेगी। वैसे, यात्रा के लिए नवबंर तक का समय है, लेकिन असल यात्रा सीजन मई, जून में ही माना जाता है। वैसे, चार धाम यात्रा परिषद के उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाई को उम्मीद है कि जल्द ही सुरक्षित और सहज यात्रा लायक स्थिति बन जाएगी। शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक का कहना है कि देवस्थानम बोर्ड हर पहलु को ध्यान में रखते हुए यात्रा पर निर्णय लेगा।