उत्तराखंड: गड़तांग गली में पहुंचने लगे पर्यटक

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गरतांग

उत्तरकाशी जनपद के सीमान्त क्षेत्र नेलांग घाटी में भैरों घाटी के पास गरतांग गली पर पुल का निर्माण 150 साल पहले पेशावर से आए पठानों ने किया था। 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह पुल आज भी बेहद रोमांचित करता है। खड़ी चट्टानों को काटकर लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रैक बनाया गया है। इसे प्रचाीन समय में सीमान्त क्षेत्र में रहने वाले गांव जादूंग,नेलांग को भी हर्षिल क्षेत्र के पैदल मार्ग के माध्यम से जोड़ा गया था। इस मार्ग से स्थानीय लोग तिब्बत से व्यापार भी करते थे। सेना सीमा की निगरानी के लिए इस मार्ग का उपयोग करती रही है।

गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क अन्तर्गत गरतांग गली के क्षतिग्रस्त ट्रैक ( लम्बाई 136 मीटर तथा चौड़ाई औसतन 1.8 मीटर) को ठीक कर दिया गया है। लकड़ी से निर्मित सीढ़ीदार ट्रैक का पुर्ननिर्माण किया गया है। साल 1975 तक सेना भी इसका इस्तेमाल करती रही। बाद में इसे बंद कर दिया गया था। लोक निर्माण विभाग ने 64 लाख रुपये की लागत से इस 136 मीटर लंबी गरतांग गली का पुनर्निर्माण कराया है। गरतांग गली भैरव घाटी से नेलांग को जोड़ने वाले पैदल मार्ग पर जाड़ गंगा घाटी में है।

तीन सौ साल पहले बनाया गया था यह मार्ग-

उत्तरकाशी जिले के भैरव घाटी यानी लंका पुल से 2 किलोमीटर पैदल चलने पर कठोर चट्टानों को काटकर इसके साथ लोहे- लकड़ी के प्रयोग से आज से 300 साल पहले आवागमन, व्यापार व सीमा की सुरक्षा चौकियों तक पहुंचने के लिए इस खतरनाक ट्रैक का प्रयोग किया जाता था। इसलिए इसका नाम गड़तांग गली है।

तिब्बत से आवागमन और व्यापार के लिए होता था इस्तेमाल

आज से करीब 300 साल पहले ये पैदल मार्ग ही तिब्बत तक जाने आने और व्यापार के लिए प्रयोग होता था, लेकिन समय के साथ-साथ सड़कों के निर्माण और आवागमन के दूसरे सुगम रास्तों के निर्माण के बाद गड़तांग गली वीरान हो गई। मार्ग के प्रयोग में न आने और मार्ग की नियमित देखभाल न होने से ये क्षतिग्रस्त हो गई थी, लेकिन आज के युग की ये एक ऐतिहासिक और रोमांचित करने वाली धरोहर है।

इसे ऊंचे विशाल पत्थर को काटकर गया है बनाया

गड़तांग गली को देखकर कल्पना करना भी दुष्कर हो जाता है कि किस तरह से इस कई सौ मीटर ऊंचे विशाल पत्थर जो कि वर्टिकल है यानी हैंगिंग कठोर पहाड़ को काट कर लकड़ी के पुल को इन कठोर चट्टानों पर लोहे के गार्डर, रॉड लगाकर देवदार के स्लीपर, तख़्तों को बिछाकर 130 मीटर लंबे ट्रैक को बनाया गया था। जबकि गहरी घाटी में जाट गंगा के बहाव को देखकर आज भी डर से रूह कांप जाती है। ये गड़तांग गली अकल्पनीय, अविश्वसनीय है और आश्चर्यजनक है।

उल्लेखनीय है कि उत्तरकाशी जिले की नेलांग घाटी में स्थित गड़तांग गली देशी-विदेशी पर्यटकों के दीदार के लिए तैयार हो चुकी है, लेकिन गड़तांग गली तक पहुंचने का 2 किलोमीटर पैदल रास्ता भी खतरनाक है। यह खड़ी चढ़ाई और बहुत ढलानदार है। इससे फिसलने पर 1000 मीटर गहरी खाई में गिर सकते हैं और बचने की कोई उम्मीद नही।