उत्तराखण्ड को मिला कृषि कर्मण पुरस्कार

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भारत सरकार द्वारा उत्तराखंड को वर्ष 2017-18 में खाद्यान्न उत्पादन श्रेणी-2 के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। तुमकुर, कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री रावत एवं कृषि मंत्री सुबोध उनियाल को यह पुरस्कार प्रदान किया।

इस अवसर पर राज्य के दो प्रगतिशील किसानों, कपकोट की श्रीमती कौशल्या व भटवाड़ी के श्री जगमोहन राणा को भी सम्मानित किया गया।

मुख्यमंत्री ने खाद्यान्न उत्पादन में उत्कृष्ठ प्रदर्शन हेतु उत्तराखण्ड को कृषि कर्मण पुरस्कार के लिए चयनित किये जाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2022 तक कृषकों की आय दोगुना करने का संकल्प दिया है। उत्तराखण्ड प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये संकल्प को पूर्ण करने के लिये पूरी निष्ठा के साथ प्रयासरत है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड एक नवोदित राज्य है, जिसके कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 53.48 लाख हैक्टेयर में कृषि का क्षेत्रफल मात्र 11.21 प्रतिशत है, इसका 56 प्रतिशत भाग पर्वतीय कृषि के अन्तर्गत आता है, जिसमें 89 प्रतिशत कृषि असिंचित एवं वर्षा आधारित है। प्रदेश में 92 प्रतिशत लघु एवं सीमान्त जोत के कृषक हैं। भारत सरकार के मार्ग-निर्देशन तथा प्रदेश के कृषकों एवं कृषि विभाग के प्रयास से उत्पादन में वृद्धि के फलस्वरूप प्रदेश अनाज उत्पादन में अपनी आवश्यकता की पूर्ति करते हुए आत्मनिर्भर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि योजना के पात्र लाभार्थियों की संख्या 8.38 लाख है, जिनमें से 6.84 लाख कृषक लाभान्वित किए जा चुके हैं, 6.72 लाख कृषकों को प्रथम किस्त, 6.56 लाख कृषकों को द्वितीय, 6.00 लाख कृषकों को तृतीय एवं 4.34 लाख कृषकों को चतुर्थ किस्त का भुगतान किया गया है, शेष कृषकों को भी योजना से जोड़ा जा रहा है। प्रधानमंत्री मानधन योजना में पात्र कृषकों का चयन कर उनके पंजीकरण की कार्यवाही गतिमान है।

उत्तराखण्ड में कुल 27 मण्डियां संचालित हैं, जिनमें से वर्तमान तक 16 मण्डियां ई-नाम योजना से जुड़ी है। ई-नाम के माध्यम से कृषि उत्पाद को विक्रय करने पर कृषकों को 70 करोड़ के ई-भुगतान किये गये हैं। व्यापारियों के मध्य आन-लाईन ट्रेंड को प्रोत्साहित करने हेतु मण्डी शुल्क में 10 प्रतिशत की छूट का प्राविधान किया गया है। प्रदेश सरकार का लक्ष्य कृषि उत्पादों के विपणन की समुचित व्यवस्था के लिए प्रत्येक न्याय-पंचायत पर कलैक्शन सेन्टर स्थापित करने का कार्य प्रारम्भ किया गया है।