उत्तराखंडः सैलानियों को लुभा रही तितलियों की दुनिया

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तितलियों
  • रामनगर के क्यारी गांव में तितली त्यौहार का आयोजन
कोरोना की मार से बेहाल कॉर्बेट पार्क के इर्दगिर्द पर्यटन उद्योग को तितलियों ने उम्मीद की रोशनी दिखाई है। यहां क्यारी गांव में “तितली त्यौहार” के जरिये तितलियों के संसार से सैलानियों व स्थानीय लोगों को रूबरू करवाया जा रहा है।
यूं तो कॉर्बेट पार्क अपने बाघों, हाथियों व परिंदों के लिए मशहूर है, मगर तितलियों की यहां 150 से ज्यादा किस्में दिखाई देती हैं। आयोजक इटरुपर्स के मनीष कुमार ने बताया कि तितलियों की विभिन्न प्रजातियों को आने वाली पीढ़ी मोबाइल पर या किसी चित्र के माध्यम से ही न देखे बल्कि ‘हमारा प्रयास तितलियों की प्रजातियों के लिए अधिक संख्या में ऐसे पौधों की पहचान करना है जो तितलियों को आकर्षित कर सकें, जो उनके प्रजनन के लिए अनुकूल माहौल बना सकें, जहां यह तितलियां प्रजनन कर सकें। ताकि क्यारी गांव विश्व में इन कीटों के लिए पसंदीदा स्थान बन जाए। एक सितम्बर से जारी इस तितली त्यौहार में अब तक सैकड़ों लोग शामिल हो चुके हैं, जिनमें स्कूली बच्चे भी शामिल हैं।
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प्रकृति प्रेमी संजय छिमवाल व गौरव खुल्वे प्रतिभागियों के सामने बटरफ्लाई के पूरे जीवन चक्र का वर्णन कर रहे हैं और सबको बता रहे हैं कि छोटा जीवन होने के बाद भी प्रकृति के लिए तितलियों का क्या महत्व है। कार्यक्रम में शामिल होने आए कल्पतरु संस्था के मितेश्वर आनंद ने कहा कि वे तितलियां रोजमर्रा के जीवन में कई बार देखते थे लेकिन यहां आकर उनके महत्व का पता चला। तितलियों की अलग अलग प्रजातियों से रूबरू हुए और ये भी पता चला की तितलियों का अधिक से अधिक संख्या व प्रजातियों के किसी एक जगह पर होना उस जगह की जैव विविधता का एक समृद्ध सूचक होता है। लोगों का प्रकृति के प्रति और पर्यावरण के साथ साथ तितलियों के संसार के प्रति रुझान देखने को मिला।
इको नेचर गाइड समिति के अध्यक्ष अनिल चौधरी ने कहा कि “तितली त्यार” से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा व स्थानीय समुदायों को इसमे बढ़ चढ़ के हिस्सा लेना चाहिए क्योंकि इस कार्यक्रम से सीखने को मिलेगा। तितलियों की यह अनूठी दुनिया जंगल के बीच क्यारी खाम गांव में है। पहाड़ियों और जंगल से घिरी यहां बहुत हरियाली है। जंगल व पहाड़ियों और खिचड़ी व दाबका नदी के समीप स्थित क्यारी गांव विश्व प्रसिद्ध कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान से ज्यादा दूर नहीं है। वन्य जीव विशेषज्ञ सजंय छीमवाल द्वारा उन्हें क्यारी क्षेत्र मे तितलियों के संसार के बारे मे बताया कि किस तरीके से एक तितली अपने जीवन को जीती है। एक तितली किस प्रकार अपना भोजन लेती है। उन्होंने बताया कि 1500 से अधिक प्रजातियां तितली की इस विश्व में हैं। तितलियों को देखने का सबसे अच्छा समय सूर्योदय या सूर्यास्त का होता है। तब तितलियां ज्यादा घूमती हुई नजर आती हैं। एक तितली एक बार में 100 या उससे अधिक अंडे देती है।
वन्य जीव जानकार गौरव खुल्बे ने बताया कि तितली त्यार का मुख्य उद्देश्य लोगों को एक पर्यटक की जगह एक यात्री के तौर पर जागरूक करने का है। इस दौरान कॉमन येलो ग्रास, कॉमन ग्रास येल्लो, जेन्ट रेड आई, पीब्लू, गौडी बैरन, ऑरेंज अवलेट, फॉरगेट मी नोट, लस्कार, कॉमन जेज़बेल, कॉमन वनडरर, ग्रेट एग्गफलाई, कॉमन मॉरमॉन, कॉमन लेपर्ड, कमान फोर बेरोनेट, कमांडर, स्ट्रिप ब्लू क्रो, प्लेन टाइगर, जेन्ट रेड आई, पीब्लू, गौडी बैरन, ऑरेंज अवलेट, फॉरगेट मी नोट, कॉमन लस्कार, कॉमन जेज़बेल, कॉमन वनडरर, ग्रेट एग्गफलाई, कॉमन मॉरमॉन, कॉमन लेपर्ड, कमान फोर रिंग, प्लैन टाइगर, कॉमन येलो ग्रास, ऑर्चित टिट, कॉमन ग्रास येल्लो, जेन्ट रेड आई, पीब्लू, गौडी बैरन, ऑरेंज अवलेट, फॉरगेट मी नोट, लस्कार, कॉमन जेज़बेल, कॉमन वनडरर, ग्रेट एग्गफलाई, कॉमन मॉरमॉन, कमान फोर रिंग आदि तितलियां देखने को मिलीं।