हरिद्वार, उत्तराखंड सरकार के एक निर्णय से केदारनाथ धाम हेलीकाप्टर सर्विस से जाने वाले लाखों श्रद्धालुओं को तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। सरकार ने केदारनाथ हेलीकाप्टर सर्विस की टिकट बुकिंग करने का 60 फीसदी कोटा जीएमवीएन को दे दिया है। जबकि 40 फीसदी कोटा हैलीकाप्टर के आप्रेटर को दिया गया है।
सरकार के इसी निर्णय से उत्तराखंड के हैलीकाप्टर सेवाएं देने वाले टूर आप्रेटर को आपत्ति है। टूर आप्रेटर यात्रा शुरू होने से पूर्व ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे है। उनका कहना है कि यदि सरकार ने शीघ्र ही समस्या का हल नहीं निकाला तो वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होंगे। यदि जरूरत पड़ी तो वह हड़ताल जैसा कदम भी उठा सकते हैं। उक्त संबंध में पत्रकारों से वार्ता करते हुए टूरिज्य एंड ट्रैवल्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष आशुतोष कुमार ने सरकार की निति की आलोचना करते हुए कहा कि टूर आपरेटर पर्यटन की धूरी हैं। हेलीकाॅप्टर सेवा को लेकर सरकार की ओर से संशय बरकरार है।
सरकार को शीघ्र ही स्थिति स्पष्ट करे। बताते चले कि उत्तराखंड के चार धाम यमुनोत्री, गंगोत्री और केदारनाथ व बदरीनाथ धाम की यात्रा में सबसे कठिन यात्रा केदारनाथ धाम की है। 14 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई करने के बाद यात्री केदारनाथ पहुंचते है। वहां जाने के लिये घोड़ा, पालकी चलती है। जबकि विगत कुछ सालों से सरकार ने केदानाथ धाम के लिये हैलीकाप्टर सर्विस शुरू की थी। इन हेलीकाप्टर की सर्विस उत्तराखंड के निजी टूर आप्रेटर करते है, जिनकी बुकिंग भी आसानी से हो जाती है। लेकिन इस साल केदारनाथ धाम की हैलीकाप्टर सेवाओं पर संकट के बादल मंडराने लगे है, उसके पीछे उत्तराखंड सरकार का एक निर्णय है।
सरकार ने केदारनाथ जाने के लिये हैलीकाप्टर के टिकट बुकिंग करने का 60 फीसदी कार्य जीएमवीएन को दे दिया है। जबकि 40 फीसदी हेलीकाप्टर संचालकों को दिया है। सरकार के इसी निर्णय पर उत्तराखंड के हैलीकाप्टर टूर आप्रेटर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। निजी टूर आप्रेटरों का तर्क है कि सरकार ने श्रद्धालुओं को होने वाली परेशानी का कोेई ध्यान नहीं रखा है, वही उत्तराखंड के आप्रेटरों की बुकिंग के रास्ते बंद कर दिये है। जिसके चलते वह श्रद्धालुओं की हैलीकाप्टर की बुकिंग को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। श्री कुमार ने कहा कि, “जीएमवीएन को न तो हेलीकाॅटर सेवा का अनुभव है, नहीं उनके पास आपरेटर हैं, जबकि यात्रा में करीब तीन सप्ताह का समय शेष रह गया है ऐसे में बुकिंग कौन करेगा, यह भी स्पष्ट नहीं है। सरकार को इस स्थिति को शीघ्र स्पष्ट करना चाहिए, यदि सरकार ऐसा नहीं करती है तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए बाध्य होंगे, यदि आवश्यकता पड़ी तो हड़ताल भी की जाएगी।”




















































