गंगा के ‘जीवित व्यक्ति’ दर्जे को चुनौती देगी उत्तराखंड सरकार

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गंगा और यमुना को ‘जीवित व्यक्ति’ का दर्जा दिए जाने के राज्य हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार ने इसके पीछे ‘तकनीकी, भौगोलिक और प्रशासनिक’ कारणों का हवाला दिया है। राज्य सरकार का कहना है कि हाई कोर्ट के फैसले को लागू करना मुश्किल है क्योंकि ये नदियां पांच राज्यों से होकर गुजरती हैं।

शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि राज्य सरकार ने केंद्र से सुप्रीम कोर्ट जाने की सहमति मांगते हुए पत्र लिखा है। इस साल 20 मार्च को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट ने भारत की दो सबसे पवित्र माने जाने वाली नदियों गंगा और यमुना को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया था।

कौशिक ने बताया, ‘मैं यह साफ कर दूं कि हम दो पवित्र नदियों गंगा और यमुना को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिए जाने के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन गंगा और यमुना को जीवित व्यक्ति का दर्जा देते हुए हाई कोर्ट ने उत्तराखंड के प्रमुख सचिव, नमामि गंगे के निदेशक और राज्य के ऐडवोकेट जनरल को दोनों नदियों का कानूनी अभिभावक नियुक्त कर दिया है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर गंगा और यमुना यूपी, बिहार या बंगाल में प्रदूषित होती हैं तो इसमें राज्य के प्रमुख सचिव कैसे जिम्मेदार हो सकते हैं? हम केवल अपने विचार सुप्रीम कोर्ट में रखना चाहते हैं।’

इसके साथ ही उत्तराखंड के पीसीसी चीफ प्रीतम सिंह ने कहा कि करोड़ो रुपये से केंद्र सरकार ने नमामि गंगा और स्वच्छ गंगा अभियान शुरु किया और अब जब हाईकोर्ट ने गंगा को जीवित व्यक्ति का दर्जा दिया तो इससे और भी तेजी आएगी गंगा के अस्तित्व को बचाने में, लेकिन अब एक बार फिर बीजेपी सरकार इस फैसले को चुनौती दे रही, तो मुझे समझ में नहीं आ रहा सरकार आखिर चाहती क्या है?