बेरोजगारों की राजधानी बन रहा देहरादून

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केंद्र सरकार लगातार बेरोजगारी मिटाने के लिए स्टार्टअप इंडिया जैसी तमाम योजनाओं का आगाज किया गया।प्रदेश स्तर पर सरकारों ने रोजगार को लेकर वादे तो किए, लेकिन उन्हें अंजाम तक नहीं पहुंचाया। यही कारण है कि आज प्रदेश की राजधानी बेरोजगार युवाओं की भीड़ से भरी पड़ी है। आलम यह है कि बीते दस सालों में प्रदेश में बेरोजगारों की फौज दोगुनी हो गई।

सरकारों के तमाम वादों की पोल एक आरटीआई के तहत मिली सूचना ने खोल कर रख दी। हालत ये है कि पिछले दस सालों में राज्य में बेरोजगारों की संख्या दोगुनी हो गई। राजधानी की बात करें तो यहां बेरोजगारों की संख्या राज्य में सबसे ज्यादा है। ये सारे आंकड़े आरटीआई के जरिये मांगी गई जानकारी से सामने आए हैं। डायरेक्टोरेट ऑफ ट्रेनिंग एंड एम्पॉयमेंट के मुताबिक अप्रैल 2017 तक राज्य में बेरोजगारों की संख्या 09 लाख का आंकड़ा पार कर चुकी है। ये संख्या 9.23 लाख है। जबकि वो बेरोजगार अलग हैं, जिन्होंने एम्पॉयमेंट एक्सचेंज में अपना नाम दर्ज ही नहीं करा रखा है। अगर ऐसे युवाओं को भी बेरोजगारों की सूची में जोड़ दिया जाए तो यह आंकड़ा कहीं अधिक हो जाएगा।
बेरोजगारी का आलम यह है कि हर साल संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है। यह हम नहीं कह रहे, आंकड़े इसकी तस्दीक करते हैं। हालांकि साल 2008 के मुकाबले साल 2009 में बोरोजगारों की संख्या में मामूली गिरावट भी दर्ज की गई। लेकिन, इसके बाद बेरोजगारी के आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं। 2008 में राज्य में बेरोजगारों की संख्या 4.89 लाख थी जो 2009 में थोड़ी सी घटकर 4.88 लाख हो गई थी, लेकिन इसके बाद ये संख्या साल दर साल बढ़ती ही चली गई।
आंकड़ों की नजर में बेरोजगार
जिलेवार बेरोजगार
जिले-संख्या
देहरादून- 1,89,708
नैनीताल-99,660
ऊधमसिंह नगर-91,738
हरिद्वार-82,157
टिहरी-75,681
पिथौरागढ़-72,649
अल्मोड़ा-72,215
पौड़ी-64,890
चमोली- 48,119
उत्तरकाशी- 40,839
बागेश्वर-32,560
रुद्रप्रयाग- 27,491
चंपावत-25,658
वर्षवार बेरोजगारों के आंकड़े
वर्ष- संख्या (अप्रैल तक)
2008- 4,89,744
2009-4,88,789
2010-5,65,559
2011- 6,61,642
2012- 7,04,398
2013-7,51,024
2014- 8,62,279
2015-9,22,066
2016- 9,26,308
2017- 9,23,000