शौचालय निर्माण तो हो गया, पर नहीं हुआ भुगतान

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भले ही केंद्र सरकार उत्तराखंड में स्वच्छ भारत अभियान के तहत खुले में शौच मुक्त हेतु सभी घरों में शौचालय बनाने की योजना को परवान चढ़ने के दावे करती हो, लेकिन फिलहाल स्वच्छ भारत का ये सपना उधार की नींव पर खड़ा है। क्योंकि, स्वजल ने योजना के तहत लोगों से शौचालय तो बनवा दिए, लेकिन भुगतान अब तक नहीं किया गया।

चूंकि, ये योजना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी बीपीएल के लिए शुरू की गई है तो इनमें अधिकांश परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने उधार या कर्ज के पैसे से शौचालयों का निर्माण तो करा लिया, लेकिन भुगतान नहीं होने के कारण इन लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। वर्तमान की स्थिति पर गौर करें तो स्वजल प्रदेश में ऐसे 90 हजार शौचालयों का निर्माण स्वयं भवन स्वामियों से कराया जा चुका है जिनका अब तक भुगतान नहीं किया गया। इन लोगों को प्रति शौचालय 12 हजार रुपये का भुगतान किया जाना है। ऐसा नहीं है कि विभाग ने भुगतान का प्रयास नहीं किया, बल्कि स्वजल की ओर से इन लाभार्थियों को भुगतान करने के लिए 107 करोड़ का प्रस्ताव बनाकर केंद्र को भेजा जा चुका है, लेकिन अब तक बजट नहीं भेजा गया है। जबकि, दूसरी ओर शौचालय निर्माण का भुगतान न होने से परेशान लोग आए दिन अफसरों के पास पहुंच रहे हैं। उदाहरण के तौर पर दून के सेवली गांव, निवासी राजकुमार बताते हैं कि अधिकारियों के कहने पर उन्होंने उधार के पैसे लेकर शौचालय तो बनवा लिया, लेकिन अब तक पैसे नहीं दिए गए, जबकि उधार देने वाले लगातार वसूली के लिए घर के चक्कर काट रहे हैं।

वहीं, स्मिथनगर निवासी, जगदीश ने बताया कि पहले जब अधिकारी बार-बार गांव आकर शौचालय बनवाने को कहते थे तो उन्होंने कर्ज के पैसों से शौचालय बनवा लिया। अब तक न ही उन्हें भुगतान किया गया और न अब अधिकारी गांव में आते हैं। स्वजल परियोजना के निदेशक राघव लंगर ने बताया कि जिन लोगों से व्यक्तिगत रूप से शौचालयों का निर्माण कराया गया है, उन्हें अभी 107 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है। इस संबंध में केंद्र को पत्र भेजा जा चुका है, जैसे ही बजट मिलेगा लोगों का भुगतान कर दिया जाएगा।