कनखल श्मशान घाट पर हालात बदतर, खुले में पड़े पीपीई किट और मास्क

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श्मशान
कोरोना की दूसरी लहर में बढ़ता मौतों का आंकड़ा और श्मशान घाटों से आने वाली तस्वीरें डरा रही हैं। देशभर में कोरोना से हाहाकार मचा है। अस्पतालों में ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की कमी है। एक-एक सांस के लिए लोग तड़प कर जान गंवा रहे हैं।
श्मशान घाटों में शवों के दाह संस्कार के लिए लाइनें लगी हैं। शवों के दाह संस्कार के इंतजार में परिजनों को घंटों बैठना पड़ रहा है। कुछ ऐसा ही आलम हरिद्वार के कनखल श्मशान घाट का है। जहां हर रोज 35 से 40 शवों का दाह संस्कार हो रहा है। लोगों को दाह संस्कार के लिए जगह नहीं मिल रही है। इतना ही नहीं कोरोना संक्रमित शव के साथ आने वाले परिजन भी श्मशान घाट पर कोविड गाइडलाइन का पालन नहीं कर रहे हैं।
हालांकि, सरकार दावा कर रही है कि उनके पास पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं, लेकिन श्मशान घाटों में नजारा सरकार के दावों से अलग है। कोरोना से मरने वालों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई है कि श्मशान घाटों पर दाह संस्कार के लिए लाइनें लग रही हैं। लोग कई घंटे इंतजार करने के बाद शवों का दाह संस्कार कर रहे हैं। धर्मनगरी हरिद्वार में भी इन दिनों श्मशान घाटों पर शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं मिल पा रही है। इन परेशानियों को देखते हुए कनखल श्मशान घाट समिति ने अंतिम संस्कार और घाट खाली करने के लिए समय निर्धारित कर दिया है।
कनखल श्मशान घाट समिति के लोगों का कहना है कि जो आलम इस वक्त है। यह इससे पहले कभी नहीं देखा। हर रोज 35 से 40 शव दाह संस्कार के लिए आ रहे हैं। जिनमें 10 से ज्यादा कोरोना संक्रमितों के शव आ रहे हैं। ऐसे में सुबह से ही श्मशान घाट पर दाह संस्कार के लिए लाइन लग जाती है। जो लोग कोरोना संक्रमित शव के साथ आते हैं, उनके पास संक्रमण से बचने की कोई व्यवस्था नहीं होती और जिनके पास पीपीई किट है। वह अंतिम संस्कार के बाद पीपीई किट को इधर-उधर फेंक कर चले जाते हैं। कनखल श्मशान घाट में हरिद्वार समेत ऋषिकेश, रुड़की और आसपास के कई इलाकों से शवों के दाह संस्कार के लिए लाया जाता है। कोरोनाकाल से पहले शवों की संख्या यहां मामूली होती थी, लेकिन कोरोना की वजह से यहां लाने वाले शवों की संख्या हर रोज बढ़ रही है।
पार्षद नितिन माणा का कहना है कि इस वक्त भयाभय स्थिति होती जा रही है। जिससे आसपास के लोग भी काफी डरे हुए हैं। खुले में पड़ी पीपीई किट और मास्क से श्मशान घाट में काम करने वाले कर्मचारी भी डरे हुए हैं। इतना ही नहीं जो व्यवस्था कनखल श्मशान घाट समिति द्वारा इस कोरोनाकाल से निपटने के लिए की गई थी, वह अब विफल होती हुई दिखाई दे रही है।