हिम्मत और इच्छाशक्ति की मिसाल है देहरादून की ये कलाकार

Pic Courtesy: Shanali Bankim Sharma

(देहारदून) हादसों और कठिनाईयों से उभर कर मिली सफलता की कहानियां इंसान को आगे बढ़ने के लिये अलग तरह की प्रेरणा देता है। देहरादून की शनाली बंकिम शर्मा की कहानी आपको कुछ ऐसी ही लगेगी। इनके ब्रांड दि वुडपेकर के पीछे शनाली की मेहनत और कभी न हार मानने की ताकत है।लकड़ी को तराश और पेंट कर नया रूप देने वाला ये ब्रांड महज पांच महीने पुराना है और इतने समय में इसने दून के कला क्षेत्र में अपनी अलग जगह बना ली है।

Pic Courtesy: Shanali Bankim Sharma

पठानकोट में पैदा हुई, शनाली जब आठ साल की थी, तब देहरादून आई थी और देखते ही देखते उन्होंने दून घाटी को अपना घर बना लिया। फाइनेंस में एमबीए शनाली के सामने जीवन ने उस समय अंधेरा कर दिया जब तीन साल पहले उन्होंने अपने पति को खो दिया। इस दौरान भी शनाली शांति और मेडिटेशन के लिए पेंट करती थी। उस समय को याद करते हुए वह कहती हैं कि, “पेंटिंग ने मुझे फिर से खड़े होने की ताकत दी, यह सब दोस्तों के लिए लकड़ी के लॉग पर पेंटिंग के साथ शुरू हुआ। मैंने तब कुछ और जरुरत के सामान पर पेंट किया जो प्लास्टिक की जगह ले सकते थे और लोगों को अधिक इको-फ्रेंडली रहने की दिशा में प्रेरित कर सकते थे, और उस समय के बाद से यह यात्रा आगे और ऊपर की तरफ बढ़ती गई और मैंने कभी पीछे मुंडकर नहीं देखा।”

यह शनावी की दृढ़ इच्चाशक्ति ही थी जिसने उसे हार नहीं मानने दी और द वुडपेकर को जन्म दिया। अपने दिवंगत पति द्वारा क्लिक की गई आउटडोर और फोटोग्राफ के लिए शनाली का प्यार उनके हाथ से बनाए हुए पक्षी और फूलों की श्रृंखला में साफ नजर आता है।

आज, हिमालय और प्रकृति की सुंदरता ने उनकी कला को प्रेरित किया है। हाथ से बने लकड़ी के बर्तन प्राकृतिक तेलों की पॉलिशिंग से तैयार होता है जिसमें हर एक आइटम बेहद खूबसूरत होता है। ये सभी पेंटिंग अपने आप में एक कहानी बयान करते हैं जो निश्चित रूप से आपके घर को और अधिक सुंदर बना देता है।

Pic Courtesy: Shanali Bankim Sharma

इस साल मार्च में ब्रांड को ऑनलाइन लांच किया गया, और अब द वुडपेकर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है, “इसके लिए लोगों की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही है और लोग इसकी सराहना कर रहे हैं। लोग कहते हैं कि यह एक अनूठा विचार है और कोई भी दो वस्तुएं एक जैसी नहीं हैं,” शनाली कहती हैं।

शनाली सरकारी स्कूलों के छात्रों में स्किल डेवलेपमेंट पर भी काम करती है और उन्हें अपनी क्रिएटिवीटी को दिमाग और हाथों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करती है। वह युवा छात्रों को अपनी कला के बारे में जानकारी देती है, वर्कशॉप आयोजित करती है और उन्हें इस उम्मीद में पेंटिंग और कला की बारीकियों को सिखाती है कि वे इसे कला को आगे बढ़ाते रहेंगे। “11 से 17 साल की उम्र के ये युवा इसे पूरे दिल से सीख रहे हैं। उन्हे जो सिखाया जा रहा उसका आनंद लेते हैं जिसे देखकर बहुत खुशी होती है ”शनाली कहती हैं।

देहरादून के अलाया और हिमालयी विवर्स देहरादून के पास शनाली द्वारा बनाई गई वुडेन ट्रे,लकड़ी के प्लेट,घर की सजावट का सामान, कोस्टर, लैंप और स्टोन आर्ट उपलब्ध है। आप इन सामानों को ऑनलाईन भी फेसबुक और इंस्टाग्राम के माध्यम से ऑर्डर कर सकते हैं।

 

Pic Courtesy: Shanali Walia

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