उत्तरकाशी में बेटियों के पैदा न होने की ख़बर का सच!!

उत्तरकाशी, 15 अप्रैल 2019 को रात 10:14 बजे पैदा हुई, समाया उत्तरकाशी जिले के भटवाड़ी क्षेत्र से, नैताला गांव में, अपने दादा-दादी और मां अनीता की निरंतर देखभाल में बड़े होने वाली एक स्वस्थ तीन महीने की बच्ची है।

उसके पिता संजय छत्तीसगढ़ में आईटीबीपी में अपनी सेवा दे रहे हैं। समाया की मां अनीता, उनके पहले बच्चे के बारे में बताते हुए कहती हैं कि, “मैं अपनी बेटी को शिक्षित करना चाहती हूं और यह सुनिश्चित करती हूं कि वह बड़ी होकर एक शिक्षक बने ताकि वह शिक्षित होकर समाज में जागरूकता फैला सके। न केवल मैं, बल्कि मेरा परिवार बहुत खुश है, वह देवी लक्ष्मी हैं, जो हमारे यहा पैदा हुई हैं।

अनीता की तरह, उत्तरकाशी जिले के पाँच सौ से अधिक गाँवों में 467 माताएँ हैं जिन्होंने पिछले तीन महीनों में बालिकाओं को जन्म दिया है, जो इस सप्ताह उत्तराखंड की प्रमुख सुर्खियों में थी।

पिछले बीस घंटों और अधिक से, उत्तरकाशी में डीएम ऑफिस में फोन बजना बंद नहीं हुआ है। यहाँ के जिला मजिस्ट्रेट डॉ.आशीष चौहान अपने दूसरे कामों में व्यस्त है लेकिन फोन की बजती घंटीओं के बीच भी वह शांत रहने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

 

 

उत्तरकाशी जिला इन दिनों खासा सुर्खियों में है और वजह है एक रिर्पोट जिसके अनुसार गांव जिले के 132 गांवों में पिछले तीन महीनों में पैदा हुए 216 बच्चे केवल लड़के हैं, पिछले तीन महीने में एक भी बच्ची के पैदा नहीं होने के आंकड़ों आजकल की हेडलाइन है।

उत्तरकाशी जिले के जिलाधिकारी डॉ आशीष चौहान हमें बताते है कि, “छह महीने पहले हमने आशा कार्यकर्ताओं की माइक्रो लेवल की निगरानी शुरू की ताकि उन्हें अपने संबंधित क्षेत्रों में सेक्स रेशियों के लिए जवाबदेह बनाया जाए, जो जिले के सेक्स रेशियों को सामने लाने वाले सकारात्मक प्रभाव को लाने में भी मदद करेगा,जिसके लिए एक डाटा बेस तैयार किया जा रहा था।

कट-एंड-पेस्ट के इस दौर में, मीडिया ने विशाल डेटा बेस में से केवल वहीं भाग चुना जिससे वह सनसनी फैला सकते थे। पूरी रिपोर्ट को एक सरसरी तौर पर पढ़ने से पता चलता है कि जिले में क्या चल रहा है। तथ्य बताते हैं कि पिछले तीन महीनों में 961 प्रसवों में से; 479 बालिकाओं के साथ 468 पुरुष बच्चे पैदा हुए थे, जो 1000: 1024 के बेहतरीन सेक्स रेशियो को उजागर करते हैं जो पहले के अनुपात से बेहतर है, बाकि 14 बच्चों की पैदा होते ही मौत हो गई।

उत्तरकाशी में 554 गांवों के साथ, जिला प्रशासन जमीनी स्तर पर काम कर रहा है, आशा कार्यकर्ताओं के काम का सूक्ष्म प्रबंधन कर रहा है ताकि उन पर सामाजिक दबाव डाला जा सके।

लेकिन इससे पहले कि इस काम को जमीनी स्तर पर उतारा जा सके, मीडिया ने अपनी टांग अड़ा दी ताकि इसको एक सनसनीखेज सुर्खी बनाया जा सके। इस योजना के पूरा होने से पहले ही इसमें दोषपूर्ण खेल, आरोप, प्रतिक्रिया और विभिन्न विभागों द्वारा संभावित जांच के बीच जिला प्रशासन द्वारा सावधानीपूर्वक नियोजित कार्रवाई में खलल डाल दिया है।

तीम महीने की समाया का मुस्कुराता हुआ चेहरा हमारे लिए एक बहुत बड़ी आशा है, क्योंकि हम जानते है कि बेटी लड़कियां खुद गंगा नदी के जन्मस्थान में सुरक्षित है।