डॉक्टरों की टीम ने बच्ची के गले से निकाला एलईडी बल्ब

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देहरादून। एक नौ महीने की बच्ची की जान पर उस वक्त बन आई जब उसने घर में खेलते हुए गलती से एलईडी डायोड बल्ब निगल लिया। बल्ब उसकी सांस की नली में अटकने के कारण सांस लेना मुश्किल हो गया। कैलाश हॉस्पिटल के विशेषज्ञों ने समय रहते बच्चे की जान बचा ली। बच्ची को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।
बुधवार को प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता के दौरान अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. रोहित श्रीवास्तव ने बताया कि बीते गुरुवार को विकासनगर में एक नौ महीने की बच्ची ने गलती से एलईडी डायोड बल्ब निगल लिया। इसकी जानकारी मिलते ही परिजन उसे अस्पताल लेकर भागे। लेकिन, यहां कोई उपचार न मिलने के कारण परिजन इधर उधर भटकते रहे। इसके बाद शुक्रवार को परिजनों ने कैलाश हॉस्पिटल में बच्ची को दिखाया गया। मामले की गंभीरता को समझते हुए अस्पताल ने छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. वैभव चाचरा के नेतृत्व में विशेषज्ञों की टीम को मामला सौंपा। जिसके बाद बच्ची का उपचार शुरू किया गया। डॉ. वैभव पहले भी सांस की नली में जाली डालने जैसे जटिल उपचार कर चुके हैं। वे कैलाश अस्पताल में ईबीएस भी करते हैं, जो प्रदेश में केवल कैलाश अस्पताल में ही उपलब्ध है। डॉ. वैभव ने बताया कि बच्ची के अंदर एलईडी बल्ब की खुली हुई तारों ने सांस की नली में बहुत नुकसान पहुंचा दिया था और यहां तक ​​कि दाईं ओर के फेफड़ों में निमोनिया पैदा हो गया था। एक जटिल ऑपरेशन के बाद बल्ब को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया। बताया कि ये समस्या ऐसी थी कि इसमें समय गंवाना खतरा लेने के बराबर था पर टीम द्वारा सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। उन्होंने बताया कि बच्ची को बहुत गंभीर हालत में किसी भी जांच के बिना कम ऑक्सीजन और बेहोश अवस्था में वेंटिलेटर पर लाया गया था। यह बेहद अच्छी बात रही कि बच्ची समय रहते अस्पताल तक पहुंच गई। जिस कारण उसकी जान बचाई जा सकी। कैलाश अस्पताल में सारी अन्य आधुनिक सुविधाएं होने के कारण ही यह संभव हो सका, और एक नन्हीं बच्ची को नया जीवनदान मिला। इस प्रक्रिया के बाद बच्ची के स्वास्थ्य में काफी सुधार है। बच्ची को अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया।