आयकर दाताओं की संख्या छह लाख पार

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GST reinstated government again in power
File Photo

देहरादून। कर सुधार की दिशा में नोटबंदी व जीएसटी के रूप में केंद्र सरकार ने जो क्रांतिकारी कदम उठाए उसके परिणाम सामने आने लगे हैं। उत्तराखंड में वित्तीय वर्ष 2017-18 में दिसंबर माह तक 90 हजार 766 नए आयकरदाता सामने आए हैं। इसके साथ ही प्रदेश में कुल करदाताओं की संख्या छह लाख आठ हजार 706 हो गई है।

मुख्य आयकर आयुक्त पीके गुप्ता के मुताबिक उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में इस वित्तीय वर्ष 90 हजार से अधिक आयकरदाता बढऩा बड़ी बात है। आयकर विभाग के आउटरीच प्रोग्राम (बाह्यय संपर्क कार्यक्रम) से यह संभव हो पाया है। इसके तहत आयकर कार्मिक कार्यालयों से बाहर निकलकर करदाताओं के बीच जाकर उनके साथ समन्वय स्थापित कर रहे हैं। अब तक करीब 20 आउटरीच कार्यक्रम गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में आयोजित किए जा चुके हैं। जिसमें से आठ कार्यक्रमों में मुख्य आयकर आयुक्त पीके गुप्ता स्वयं उपस्थित रहे। इसके अलावा मुख्य आयकर आयुक्त गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष प्रदेश से करीब 11 हजार करोड़ रुपये का आयकर अर्जित करने का लक्ष्य रखा गया है और दिसंबर माह तक सात हजार 529 करोड़ रुपये आयकर के रूप में अर्जित किए जा चुके हैं। यह आंकड़ा कुल लक्ष्य का 68.44 फीसद है और अभी वित्तीय वर्ष समाप्ति को करीब तीन माह का समय है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आयकर विभाग इस लक्ष्य को आसानी से हासिल कर लेगा।
एडवांस टैक्स के रूप में प्राप्त होता है आयकर
वैसे तो आयकर जमा करने की अंतिम सीमा वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर होती है, लेकिन एकमुश्त की जगह समय-समय पर आयकर मिलता रहे, इसके लिए एडवांस टैक्स जमा करने की व्यवस्था की जाती है। यह टैक्स क्वार्टरली रूप में 15 जून, 15 सितंबर, 15 दिसंबर व 15 मार्च तक जमा कराना होता है। अंतिम क्वार्टर का टैक्स जुर्माने के साथ 31 मार्च तक जमा कराया जा सकता है। इसी तरह विभिन्न क्वार्टर में भी तिथि बढऩे पर जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन यह अंतिम क्वार्टर से अधिक होता है।
आयकर रिकवरी में बड़ी कामयाबी
मुख्य आयकर आयुक्त पीके गुप्ता के मुताबिक इस वित्तीय वर्ष के आरंभ में राज्य में करीब 2700 करोड़ रुपये का आयकर डिफॉल्टरों के पास फंसा था। आयकर की यह देनदारी करीब तीन वर्षों से लंबित थी। इसकी रिकवरी के भी प्रयास तेज किए गए, लिहाजा दिसंबर अंत तक करीब 2000 करोड़ रुपये के आयकर की रिकवरी कर ली गई थी। इसमें कुछ हजार रुपये के डिफॉल्टर से लेकर करोड़ों रुपये के डिफॉल्टर भी शामिल हैं।