गोपाल दास को एम्स ने भर्ती करने से किया इनकार

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एम्स

ऋषिकेश। गंगा संरक्षण को लेकर विगत कई दिन से अनशन कर रहे संत गोपालदास को हरिद्वार प्रशासन ने चुनाव आचार संहिता के चलते धरने से उठाकर बुधवार को ऋषिकेश एम्स भेज दिया। यहां ऋषिकेश एम्स ने संत गोपालदास को भर्ती करने से इनकार कर दिया। ज्ञात रहे कि दो दिन पूर्व गोपाल दास को हरिद्वार मातृ सदन छोड़ा गया था जहां उन्होंने आमरण अनशन शुरू कर दिया था।
गोपालदास ने अपना मौन तोड़ते हुए कहा कि उनको लेकर सरकार पर लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह निराधार है। उन्होंने कहा कि शिवानंद ने जो आरोप लगाए हैं उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है। उनसे जब यह पूछा गया कि क्या आपको एम्स में बंधक बनाया गया तो उन्होंने कहा कि नहीं, लेकिन जो उनका उपचार किया जा रहा है वह उनकी पद्धति के अनुसार नहीं है। गोपाल दास का कहना था कि एम्स के लोग भी उनके साथ राजनीति कर रहे हैं।

स्वामी गोपाल दास को जबरन उठाकर एम्स ऋषिकेश भेजा गया

 संथारा प्रथा के तहत प्राण त्यागने की इच्छा लेकर अनशन पर बैठे स्वामी गोपालदास ने बुधवार से मौनव्रत धारण करने के साथ ही जल भी छोड़ दिया है। इसके बाद प्रशासन और पुलिस की एक टीम ने संत गोपालदास को जबरन उठाकर मेडिकल टीम के साथ एम्स ऋषिकेश भेजा गया था। इससे पहले गोपालदास ने अपने खून से एक पत्र भी लिखा।
बुधवार को प्रशासन और मेडिकल की एक टीम स्वामी गोपाल दास का स्वास्थ्य परीक्षण करने मातृसदन पहुंची। लेकिन उन्होंने स्वास्थ्य परीक्षण कराने से इन्कार कर दिया तथा टीम को वापस भेज दिया।
उन्होंने लिखकर बताया कि वे संथारा प्रक्रिया का पालन कर रहे हैं। इसमें न तो मेडिकल की जरूरत है और न ही किसी दूसरे व्यक्ति का हस्तक्षेप होना चाहिए। जिसके बाद दोबारा प्रशासन की टीम पुलिस के साथ मातृ सदन पहुंची। इस दौरान स्वामी गोपाल दास ने खुद को कमरे में बंद कर लिया और वहां खून से पत्र लिखा। इस बीच प्रशासन की टीम मातृ सदन के स्वामी शिवानंद महाराज से बातचीत करती रही और वहां से बैरंग लौटने को तैयार नहीं हुई। उन्होंने संत गोपाल दास के जीवन का हवाला देते हुए उन्हें जबरन कमरे से उठा लिया और डॉक्टरों की टीम के साथ ऋषिकेश भेज दिया।
गौरतलब है कि स्वामी गोपाल दास को मंगलवार को एम्स से डिस्चार्ज कर हरिद्वार लाया गया था। अनशन के 117वें दिन मौन धारण करने के साथ ही उन्होंने जल भी छोड़ दिया।