बीसीसीआई के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाली

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पेगासस
File Photo

नई दिल्ली,  सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई के मामले पर गुरुवार को सुनवाई टाल दी है। जस्टिस एसए बोब्डे और जस्टिस अभय मनोहर सप्रे की बेंच ने मामले की अगली सुनवाई दो मई को करने का आदेश दिया है।

कोर्ट के समक्ष बीसीसीआई से संबंधित कई अंतरिम याचिकाएं लंबित हैं। आज सुनवाई के दौरान एमिकस क्युरी पीएस नरसिम्हा ने कहा कि उन्होंने पिछले 24 अप्रैल को प्रशासकों की कमेटी से मुलाकात की थी और लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को लेकर राज्य संघों ने जो मुद्दे उठाए हैं, उन पर चर्चा की। उन्होंने राज्य संघों से कहा था कि उन्हें लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के तहत ही अपने संविधान का रजिस्ट्रेशन कराना होगा तभी उन्हें मान्यता मिल पाएगी।

पिछले 14 मार्च को कोर्ट ने इस मामले में एमिकस क्युरी और वरिष्ठ वकील पीएस नरसिम्हा को बीसीसीआई में सभी लंबित मसलों के निपटारे के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया था। कोर्ट ने कहा था कि नरसिम्हा बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघों में लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें लागू करने में आ रही परेशानियों, फंड के बंटवारे समेत दूसरे विवादों में मध्यस्थ की भूमिका निभाएंगे।

सुनवाई के दौरान नरसिम्हा ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्ति होने के बाद लोकपाल के पद पर नियुक्त जस्टिस डीके जैन ने अपना काम करना शुरू कर दिया है। कोर्ट ने कहा था कि कुछ राज्य संघों ने फंड के बंटवारे के लिए जो अर्जी दायर की है उस पर एमिकस क्युरी विचार करेंगे और प्रशासकों की कमेटी को बताएंगे। कोर्ट ने आदेश दिया था कि देश की कोई भी कोर्ट किसी भी राज्य क्रिकेट संघ या बीसीसीआई से संबंधित याचिका स्वीकार नहीं करेगी।

सुनवाई के दौरान नरसिम्हा ने कहा था कि वे बिना फीस के मध्यस्थ बनने को तैयार हैं तब जस्टिस एसए बोब्डे ने कहा कि बेहतर हो कि आप फीस लेकर मध्यस्थता का काम करें क्योंकि आजकल कोई भी उस व्यक्ति पर भरोसा नहीं करता जो बिना फीस के काम करता है।

पिछले 21 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज जस्टिस डी.के. जैन को बीसीसीआई का लोकपाल नियुक्त किया था। लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों के मुताबिक तैयार बीसीसीआई के नए संविधान के अनुच्छेद में इसकी व्यवस्था है।