सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन योजना क्यों रही असफल?

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पिछले साल देहरादून नगर निगम की योजना के तहत शहर के भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में सैनिटरी नैपकीन के लिए वेंडिंग मशीन लगाए जाने थे, लेकिन अब तक इसपर कोई काम शुरु नहीं हुआ है। इस योजना में दून के मुख्य स्पाट पर यह मशीन लगनी थी जिसमें गांधी पार्क के पास भी एक वेंडिंग मशीन लगाई जानी थी।यह योजना स्वच्छ भारत मिशन के तहत बनाई गई थी।

यह मशीन से 10 रुपये में 3 सैनिटरी नैपकिन देने वाली थी जिससे आर्थिक रुप से कमजोर महिलाओं में नैपकिन के इस्तेमाल व इसके फायदे के बारे में जागरुक किया जा सकता था। इस एक मशीन को इंस्टाल करने की कीमत लगभग 60 हजार बताई गई थी। यह मशीन निगम द्वारा लगाए जानी थी जिसमें उनकी मदद सेमी गवरमेंट कंपनी हिंदुस्तान लाईफकेयर लिमिटेड करने वाली थी।

हालांकि नगर निगम का कहना है कि इस प्लान पर काम ना करने की वजह इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है। इस बारे में नगर निगम का कहना है कि इस योजना को धरातल पर लाना इतना आसान नहीं है, क्योंकि इसको चेक करने के लिए हमने पहला वेंडिंग मशीन महिला शौचालय में लगाया था। लेकिन इस मशीन को शहर के दूसरे हिस्सों में लगाना थोड़ा मुश्किल होगा क्योंकि एक तो सुलभ शौचालयों की हालत बहुत खराब होती है, दूसरा यह योजना उन क्षेत्रों में काम करेगी जहां बहुत सफाई हो और उस स्थान पर बिजली पानी की सुविधा हो क्योंकि यह मशीन बिना बिजली के नहीं चलती।

वहीं शहर के मेयर विनोद चमोली का कहना है कि हमने इस एक मशीन को एक्सपेरिमेंट के आधार पर लगाया था और इसका रिस्पांस देखना अभी बाकी है, इसके अलावा उन्होंने कहा कि मैं खुद इस योजना को देखूंगा कि इसपर काम क्यों नहीं हो रहा है।

गौरतलब है कि कुछ समय पहले रेखा आर्य उत्तराखंड की महिला कल्याण एवं बाल विकास मंत्री ने केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली से सैनिटरी नैपकिन को टैक्स के दायरे से बाहर रखने की मांग की है। रेखा ने अपने खत में केंद्रीय वित्त मंत्री से कहा था कि राज्य में ज्यादातर महिलाएं धनाभाव में जीती हैं और उन्हें सैनिटरी नैपकिन के लिये पैसे अासानी से प्राप्त नहीं होते, इस के ऊपर सैनिटरी नैपकिन पर टैक्स इन्हें अाम महिलाअों की पहुँच से दूर कर देता है।