साक्षी ने बचपन में बस हादसे में पैर गंवाने के बावजूद स्पोर्ट्स में बनाया मुकाम

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ऋषिकेश, कहते हैं कि मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कोई भी राह मुश्किल नहीं लगती। ऐसेे ही जज्बे की एक जीती जागती मिसाल है साक्षी चौहान। महज नौ साल की उम्र में एक बस हादसे में अपना एक पैर गंवा चुकी 23 वर्षीय साक्षी चौहान ने अपनी कमजोरी को खुद पर हावी नहीं होने दिया बल्कि अपनी ताकत बनाया।
छठी नेशनल व्हील चेयर बास्केटबॉल चैंपियनशिप-2019 में खिताब जीतने वाली टीम का हिस्सा रही साक्षी चौहान अपने घर लौटी। यहां पहुंचने पर क्षेत्रवासियों एवं गढ़वाल महासभा से जुड़े लोगोंं ने उनका फूलमालाओं से स्वागत किया। गढ़वाल महासभा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजे नेगी ने साक्षी को अंग वस्त्र एवं स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया।
इस अवसर पर डॉ. नेगी ने बताया कि, “मूलत: बगसारी गांव टिहरी गढ़वाल की रहने वाली साक्षी ने महज नौ वर्ष की उम्र में बस हादसे में एक पैर खो दिया था और दूसरा पैर बमुश्किल सर्जरी कर बचाया गया।”
फिलहाल गुमानिवाला ऋषिकेश में रहने वाले विनोद सिंह चौहान और नैना देवी की पुत्री साक्षी एक मध्यम वर्गीय परिवार से है। उन्होंने हमेशा सामाजिक कार्योंं और खेल में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। अपनी शिक्षा ग्रहण करने के समय से ही साक्षी ने सड़क पर कचरा उठाने वाले बच्चोंं को पढ़ाना शुरू कर दिया था। इसमें साक्षी को रोजाना 50 किलोमीटर बस का सफर तय करना पड़ता था।
इसी दौरान साक्षी ने मैराथन और बास्केटबॉल खेलने का प्रशिक्षण लेना भी शुरू कर दिया। पहले भी वह हाफ मैराथन में पुरस्कार जीत चुकी है और अब नेशनल बास्केटबॉल चैंपियनशिप में महाराष्ट्र की तरफ से खेलते हुए चैंपियन टीम का हिस्सा रही।