धान की खेती पड़ने लगी पीली, काश्तकार परेशान

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Courtesy: Internet
गोपेश्वर, चमोली जिले के नारायण बगड विकास खंड के दर्जनों गांवों में धान और मंडुआ की खेतों में खड़ी फसल पीली पड़ने के साथ ही उसकी जड़ें कमजोर पड़ने लगी हैं। इसके कारण किसान मायूस हैं। किसान पिछले चार माह से फसलों की देखभाल कर रहे हैं लेकिन अब जब फसल तैयार होने की कगार पर है, ऐसे में अब उनकी फसल के पौध ही कुलमुलाने लगे हैं।
क्षेत्र के पासतोली, जबरकोट, मेटा मल्ला, मेटा तल्ला, सालपुर, ऑलकोट, झिंझोली, भटियाणा 24 से अधिक गांवों के किसानों की फसल खराब होने की जानकारी मिल रही है। मेटा मल्ला के किसान किशोर सिंह नेगी, जबरकोट के कलम सिंह कंडारी, धारबारम के पूर्व कैप्टन दलबीर सिंह, सालपुर के सुरेंद्र सिंह खत्री ने बताया कि उन्होंने मार्च में धान एवं मडुआ की फसलें बोई थी जो अब काफी बड़ी हो गई है। मगर खेत में खड़ी फसलों की निराई-गोडाई के दौरान फसल जड़ से उखड़ जा रही है। किसानों का कहना है कि फसल खराब होने से उनके सम्मुख आजीविका और परिवार के भरण-पोषण संकट आ गया है।
इधर अपर जिला कृषि अधिकारी जितेंद्र भास्कर का कहना है कि, “फसलों में ऐसी समस्या एक तो खेतों में पानी के अधिक भराव के कारण होती है, दूसरा कुरमुला कीट के कारण यह स्थिति पैदा होती है। खेतों में पानी भरने से कुरमुला कीट जमीन से बाहर निकल कर पौधों की जड़ को नष्ट कर देता है। खेतों में धान की पौध तैयार करने से पहले उसमें कार्बोफ्यूरोन मिलाने से कुरमुला नष्ट हो जाता है। परंतु अब जब धान की पौध बड़ी हो गई है तो उसमें यदि बारिश बंद होने के बाद दवाओं का स्प्रे किया जाए तो कुछ हद तक बचाव किया जा सकता है।पौधों के बड़े होने पर कुछ नहीं किया जा सकता। इसलिए किसानों को फसल के लिए खेत तैयार करने पर ही इसका उपाय कर लेना चाहिए।”