मिसाल: जेल से पैरोल तक, थाने में रहकर आरोपी ने की वकालत की पढ़ाई

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वकालत

कोरोना महामारी जहां एकतरफ ने जहां सारी दुनिया के लिये परेशानी का सबब बनकर आया है वहीं, कुछ लोगों ने इस समय को एक अवसर के तौर पर भी लिया है। कोरोना महामारी ने बहुत से लोगों की ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल दी है। इनमें से एक है 19 साल का अर्चित। लेकिन अर्चित को इस महामारी ने ज़िंदगी का वरदान दे दिया है। कुछ महीने पहले नशे के आदी और उसकी वजह से अपने ही घर में चोरी करने वाला अर्चित अब पुलिस के संरक्षण में वकालत की पढ़ाई कर रहा है। उसके अच्छे बर्ताव के चलते पुलिसकर्मी भी उसकी हर मदद करने को तत्पर हैं और चाहते हैं कि वह ढंग से पढ़कर बड़ा वकील बने।

कोरोना महामारी के दौरान सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य के करीब 700 कैदियों को परोल पर छोड़ दिया था। इन 700 अपराधियों में से एक अर्चित भी एक था। अर्चित पैरोल पर तो छूट गया लेकिन उसके परिजनों ने उसे घर में घुसने तक नहीं दिया क्योंकि अर्चित चोरी करने की वजह से जेल पहुंचा था।

12वीं पास अर्चित देहरादून में अपनी मौसी के घर रहता था। पिछले कुछ समय से वह स्मैक के नशे का आदी हो गया था। नशे के लिए पैसे नहीं मिले तो उसने अपनी मौसी के ही घर में चोरी कर डाली। पुलिस ने इस केस की जांच की तो वह पकड़ में आ गया और अदालत से उसे एक साल कैद की सज़ा मिल गई। अर्चित ने जेल में तीन महीने ही काटे थे कि कोरोना वायरस के चलते 699 मरीज़ों के साथ वह भी पैरोल पर छूट गया। जेल से तो वह बाहर आ गया लेकिन मौसी के घर के दरवाज़े बंद होने के बाद उसके पास रहने का कोई ठिकाना नहीं था, न खाने का कोई ज़रिया रह गया था। परेशान अर्चित देहरादून के रायपुर थाने पहुंचा और मदद की गुहार लगाई। उसकी कहानी सुनकर पुलिसकर्मियों ने थाना परिसर में ही उसके रहने का इंतज़ाम कर दिया। तबसे अर्चित थाने में पुलिस की मदद के लिए छोटे-मोटे काम कर देता है। अपने अच्छे बर्ताव की वजह से अर्चित की बाकी 6 महीने की सज़ा माफ़ कर दी गई है।

अर्चित इसका श्रेय पुलिसकर्मियों को देता है और अब वक़ालत करना चाहता है। रायपुर के एसओ अमरजीत का कहना है कि अर्चित शुरू से यही अच्छे काम कर रहा था जिसकी वजह से उसकी सज़ा माफ़ हुई है। वह कहते हैं कि पुलिसकर्मी अर्चित की पढ़ाई से लेकर उसे कामयाब बनाने में पूरी मदद करेगी।

कोरोना काल में कई उतार चढ़ाव देखने को मिले हैं। लेकिन इतना ज़रूर है की इस दौरान एक अपराधी को सुधरने का एक ऐसा अवसर मिला जिससे उसकी ज़िदगी में नई उम्मीद जागी है। सज़ा माफी के बाद अब अर्चित ने अपराध की दुनिया से दूर एक अच्छी ज़िदगी को जीने की ठान ली है।