पंचायतों से अब पिथौरागढ़ पहुंचेगी सियासी तपिश

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पंचायतों से निकलकर सियासी तपिश अब जल्द ही पिथौरागढ़ का रूख करने जा रही है। पिथौरागढ़ उपचुनाव के लिए सियासी दलों ने कील कांटे दुरूस्त करने शुरू कर दिए हैं। उत्तराखंड में उपचुनावों का इतिहास सत्तासीन दल की जीत से जुड़ा है। फिर चाहे उपचुनाव की वजह किसी की मौत रही हो या अन्य सियासी समीकरण। त्रिवेंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री प्रकाश पंत की असामायिक मौत के बाद अब पिथौरागढ़ की धरती पर चुनावी जंग के लिए मैदान सजने लगा है। हालांकि अभी निर्वाचन आयोग उपचुनाव का कार्यक्रम घोषित नहीं किया है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस ने रणनीति बुनना शुरू कर दिया है।
पिथौरागढ़ विधान सभा सीट पांच जून को प्रकाश पंत के निधन के बाद रिक्त घोषित कर दी गई थी। संवैधानिक व्यवस्था का तकाजा है कि वहां पर पांच दिसंबर से पहले उपचुनाव कराया जाना है। 30 नवंबर तक ब्लाक और जिला पंचायत अध्यक्षों के चुनाव कराए जाने हैं। इस लिहाज से माना जा रहा है कि पिथौरागढ़ उपचुनाव पंचायतों में चले सियासी घमासान की पृष्ठभूमि में होगा। भाजपा इस बात से सुकून महसूस कर रही है कि उत्तराखंड में उपचुनाव के इतिहास में सत्तासीन दल को कभी हार का मुुंह नहीं देखना पड़ा है।
– त्रिवेंद्र सरकार के मंत्री प्रकाश पंत के निधन से खाली हुई है सीट
-उपचुनाव में सत्तारूढ़ दल की हुई है हमेशा जीत, भाजपा आश्वस्त
भाजपा में प्रकाश पंत की पत्नी या फिर उनके भाई को मैदान में उतारने को लेकर गंभीर मंथन चल रहा है। 2018 में थराली से विधायक चुने गए मगन लाल शाह की मौत के बाद इसी तरह की स्थिति में पार्टी ने उनकी पत्नी मुन्नी देवी शाह को टिकट दिया था और वह विधायक बन गई थीं। भाजपा को कांग्रेस की हरीश रावत सरकार का जमाना भी याद है। तब कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र राकेश की मौत के बाद भगवानपुर सीट खाली हो गई थी। कांग्रेस ने उनकी पत्नी ममता राकेश को टिकट दिया था और वह जीत गई थीं।
पिथौरागढ़ सीट पर कांग्रेस की उम्मीद की बात करें, तो उसकी नजरें सिर्फ एक नाम पर जाकर टिकती है। यह नाम पूर्व विधायक मयूख महर का है। महर इस सीट पर प्रकाश पंत के लिए हमेशा एक ऐसे विरोधी साबित हुए, जिससे पार पाने के लिए उन्हें बहुत मेहनत करनी पड़ी। कांग्रेस मयूख को सामने लाकर बाजी पलटने की उम्मीद कर रही है, हालांकि वह चुनाव न लडने के इच्छुक बताए जा रहे हैं। पार्टी को उम्मीद है कि ना नुकुर के बावजूद वह ताल ठोंकने के लिए तैयार हो जाएंगे। कुल मिलाकर पिथौरागढ़ के दंगल में भाजपा और कांग्रेस जल्द ही जोर आजमाइश करते नजर आएंगे।