पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं खस्ता, भगवान भरोसे लोगों की जिंदगी

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 पहाड़ों में स्वास्थ्य सुविधाएं सुधारने के लिेए सरकार भले ही कई प्रयास कर रही है, लेकिन हालात हैं कि सुधरने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। पहाड़ों की विकट परिस्थितियों के कारण बांड के बावजूद डॉक्टर यहां टिकने को तैयार नहीं हैं।लंबे समय से डॉक्टरों की कमी झेल रहे टिहरी जिले को अप्रैल 2016 में 42 डॉक्टर मिले जिन्हें जिन्हें बांड के अनुसार 5 सालों तक ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देनी थी जिनकी आवश्यकता अनुसार सभी 9 विकासखंडों में तैनाती दी गई। लेकिन एक माह बाद भी 42 में से सिर्फ 30 डॉक्टरों ने ज्वानिंग ली, जिसमें से अभी केवल 6 डॉक्टर ही शेष हैं।

दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है। कई डॉक्टरों ने तो सीएमओ ऑफिस में ज्वाइनिंग भी ली और पोस्टिंग स्थल पर जाकर एक या दो दिन गुजार कर वापसी कर ली।

जिले के सीमान्त क्षेत्र बूढ़ाकेदार, खंडोगी, दल्ला, मैंडखाल और न्यूली तो एसे क्षेत्र हैं जहां पहली बार डॉक्टर के पहुंचने की उम्मीद थी, लेकिन इस वर्ष भी इन क्षेत्रों में डॉक्टर पहुंच नहीं सके. जिससे ग्रामीण मरीजों को खासी परेशानी झेलनी पड़ रही है.