मोदी का छात्रों को गुरुमंत्र, प्रतिस्पर्धा नहीं, अनुस्पर्धा कीजिए

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नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशभर के करोड़ों छात्रों को परीक्षा के दौरान तनाव से बचने के लिए सहपाठियों से प्रतिस्पर्धा के बजाय अनुस्पर्धा (स्वयं से स्पर्धा) का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को अपने द्वारा किए गए पिछले कार्य से बेहतर काम करना चाहिए। मोदी ने कहा कि छात्रों को दूसरों को देखकर उनका अनुसरण करने की बजाय स्वयं का सतत आंकलन करना चाहिए। इसके लिए दिनचार्य की डायरी बनाने पर एक माह में परिणाम भी दिखेगा।

प्रधानमंत्री ने तालकटोरा स्टेडियम में ”परीक्षा पर चर्चा” कार्यक्रम में स्कूल और कॉलेजों के छात्रों के अलावा विभिन्न माध्यमों से 10 करोड़ छात्रों से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने स्टेडियम में मौजूद और विभिन्न समाचार चैनलों, नरेन्द्र मोदी मोबाइल एप और माय-जीओवी प्लेटफार्म के जरिये छात्रों द्वारा पूछे गए सवालों के जवाब दिए। दो घंटे चले इस आयोजन के दौरान प्रधानमंत्री ने कई तरह के सवालों के जवाब दिए, जिनमें घबराहट, चिंता, एकाग्रता, दबाव, मातापिता की आकांक्षा और अध्यापकों की भूमिका जैसे प्रश्न शामिल थे। कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, डॉ. जितेन्द्र सिंह, जे.पी. नड्डा, डॉ. हर्षवर्धन, प्रकाश जावड़ेकर, राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा और डॉ. सत्यपाल सिंह भी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि, “वे छात्रों, उनके माता-पिता और उनके परिवार का मित्र होने के नाते यहां आए हैं। उन्होंने अपने अध्यापकों को याद करते हुए कहा कि उनके अध्यापकों ने उनमें ऐसे मूल्यों का निरूपण किया, जिससे उनके भीतर का छात्र आज भी जीवित है। सबका आह्वान किया कि वे अपने अंदर के छात्र को जीवित रखें।,अपने भीतर के विद्यार्थी को कभी मरने नहीं देना, वो अगर जीवित रहता है तो हमें जीने की प्रेरणा भी देता है।”

एकाग्रता के विषय में प्रधानमंत्री ने क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की सलाह को याद किया जिसका जिक्र रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में किया गया था। तेंदुलकर ने कहा था कि खेलते समय वे केवल उसी गेंद पर विचार करते थे, जो सामने होती थी। पिछली और अगली गेंदों के बारे में नहीं सोचते थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि योग से एकाग्रता में सुधार होता है।

हर माता-पिता बच्चों के लिए कुर्बानी देते हैं। इसका उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने माता-पिता से आग्रह किया कि वे अपने बच्चों की उपलब्धियों को सामाजिक प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं। उन्होंने कहा कि हर बच्चे में कोई न कोई अनोखी प्रतिभा होती है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आईक्यू (बौद्धिक कौशल) और ईक्यू (भावनात्मक कौशल), दोनों का छात्र जीवन में बहुत महत्व होता है। समय के समायोजन के संबंध में प्रधानमंत्री ने कहा कि छात्रों के लिए पूरे साल की कोई समय सारणी या कोई टाइम-टेबल व्यावहारिक नहीं होता। आवश्यकता है कि लचीला रुख अपनाते हुए समय का पूरा उपयोग किया जाए।