दिल्ली की जंगः प्रवासी उत्तराखंडियों के हाथ तीन टिकट

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-भाजपा ने दोे जगह जताया भरोसा, कांग्रेस ने दी एक सीट
-आम आदमी पार्टी से प्रवासियों को मायूसी, कोई टिकट नहीं
दिल्ली की चुनावी जंग में भाजपा और कांग्रेस ने प्रवासी उत्तराखंडियों पर तीन सीटों पर भरोसा जताया है। प्रवासी उत्तराखंडियों के कोटे से भाजपा ने दो और कांग्रेस ने एक उम्मीदवार को टिकट थमाया है। प्रवासी उत्तराखंडियों को सबसे बड़ी निराशा आम आदमी पार्टी से हुई है, जिसने एक भी टिकट नहीं दिया है। गढ़वाली, कुमाउंनी, जौनसारी अकादमी की दिल्ली में स्थापना जैसा महत्वपूर्ण फैसला करने वाली आप सेे प्रवासी उत्तराखंडी कम से कम एक टिकट की अपेक्षा कर रहे थे।
दिल्ली प्रदेश में प्रवासी उत्तराखंडियों की संख्या करीबन 24 लाख बताई जाती है। आठ से 10 सीटों पर उनका प्रभाव माना जाता है। इन सीटों में यमुनानगर, करावलनगर, मंडावली, लक्ष्मीनगर, पडपड़गंज, आरकेेपुरम, मटियाला, विश्वासनगर को शामिल किया जा सकता है। इनमेें से दो सीटों करावलनगर और पडपडगंज में भाजपा और कांग्रेस ने उत्तराखंडी चेहरों को तरजीह दी है।
करावलनगर सीट पर भाजपा और कांग्रेस से उत्तराखंडी उम्मीदवार एक दूसरे के आमने सामने खडे़ हैं। भाजपा ने इस सीट पर तीन बार विधायक रह चुके मोहन सिंह बिष्ट को टिकट दिया है, जबकि कांग्रेस ने लक्ष्मण सिंह रावत पर दांव खेेला है। प्रवासी उत्तराखंडियों का आंकलन था कि आप भी उत्तराखंडी उम्मीदवार ही उतारेगी, पर ऐसा नहीं हुआ है। इसके अलावा, भाजपा ने पडपड़गंज सीट पर रवि नेगी को उम्मीदवार घोषित किया है।
आम आदमी पार्टी ने ऐन चुनाव से पहले अकादमी खोलने की वर्षों पुरानी प्रवासी उत्तराखंड़ियों की मांग को पूरा किया था। केजरीवाल सरकार ने इस अकादमी केे उपाध्यक्ष पद पर जाने माने उत्तराखंडी लोकगायक हीरा सिंह राणा की नियुक्ति की थी। इस पूरी कवायद से माना जा रहा था कि आप की चुनावी रणनीति में इस बार कहीं न कहीं प्रवासी उत्तराखंडियों को ध्यान में रखा जा रहा है, मगर एक भी टिकट न देने से उन्हें हैरानी हुई है। प्रवासी उत्तराखंडियोें केे संगठन गढ़वाल हितैषिणी सभा के महासचिव पवन मैठाणी का मानना है कि सियासी दलों ने उम्मीद के अनुरूप टिकट नहीं दिए हैं, फिर भी चुनाव में उत्तराखंडी समाज अपने विवेक से उचित निर्णय लेगा।