उत्तराखंड में नहीं उभर पाई क्षेत्रीय पार्टियां, तीसरे विकल्प की होड़ में आप

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उत्तराखंड
उत्तराखंड के सियासी परिदृश्य में क्षेत्रीय दल लगभग न के बराबर हैं। राज्य गठन से लेकर अब तक राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस और भाजपा ही यहां सत्तासीन होती आई हैं। अब तीसरे विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी (आप) भी जमीन तैयार कर रही है। भाजपा व कांग्रेस प्रदेश में आप के बढ़ते कुनबे से चिंतित है, लेकिन तवज्जों नहीं दे रही है।
राज्य गठन से लेकर अब तक राज्य की सत्ता की बागडोर भाजपा और कांग्रेस के बीच क्रमवार चलती आ रही है। हालांकि, बसपा कई मौके पर मैदानी इलाकों में जीत कर किंग मेकर की भूमिका में रही लेकिन राज्य में संगठन का उभार नहीं कर पाई। यही स्थिति राज्य के एकलौता क्षेत्रीय पार्टी उत्तराखंड क्रांति दल (यूकेडी) का रहा। चुनाव में एकाध सीट पर जीत तो दर्ज की लेकिन पार्टी की मजबूती कम सत्ता सुख में भाजपा कांग्रेस के साथ बहते गये। पार्टी लगातार टूट और बिखराव की चल पड़ी। वहीं समाजवादी पार्टी (सपा) की बात की जाए तो राज्य गठन से लेकर अब तक शून्य के बराबर है। संगठन और नेता का रोना इनकी बड़ी समस्या है।
भाजपा व कांग्रेस राज्य की प्रमुख दलों में है। ऐसे में आप ने प्रदेश में टक्कर देने के लिए तीसरे विकल्प के तौर पर तैयारी शुरू कर दी है। लेकिन दोनों राष्ट्रीय पार्टियां आप के इस दावों को नकार रहे हैं। उनका कहना है कि यहां अन्य पार्टी को जनता पसंद नहीं करेगी। हालांकि बीस साल से राज्य की स्थाई राजधानी और पलायन की प्रमुख समस्या आज भी जस की तस है। दोनों दल एक दूसरे पर विकास की आरोप मढ़ते हैं, फिर भी सत्ता इनके साथ ही चलती।
यूकेडी का कहना है कि राज्य निर्माण की भावनाओं के साथ विपरीत, राष्ट्रीय दलों ने काम किया, इसलिए वो इसके जिम्मेदार भी हैं।
आम आदमी पार्टी (आप) आगामी विधानसभा चुनाव में अपने बेहतर प्रदर्शन को लेकर राज्यभर में तैयारी शुरू कर दी है। आप का असल लक्ष्य निकट भविष्य में कांग्रेस का विकल्प बनना है। इसीलिए सियासी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। आमजन में अपनी पैठ और आप की राज्य में दस्तक के लिए केजरीवाल मॉडल का मुद्दा बनाकर परोसा जा रहा।  साथ ही स्थानीय व्यक्ति को मुख्यमंत्री बनाने की सियासी समर में विशुद्ध रूप से आगामी योजना प्रमुख लक्ष्य है।
जानकरों का कहना है कि राज्य में आप की दिल्ली की तरह राह आसान नहीं है। भाजपा मजबूत संगठन के बदौलत अपनी सियासी जड़ों को सींचा है। यही कारण है कि साल 2014 से लेकर राज्य में भाजपा अजेय बनी हुई है, जबकि कांग्रेस निरंतर सिमटती जा रही है। कांग्रेस की कमजोरी का लाभ उठाकर आप प्रदेश में अपना जमीन तैयार करने की फिराक में है।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आप नेता मनीष सिसोदिया की उत्तराखंड दौरा में सरकार पर वार भी इसी योजना का हिस्सा है। सिसोदिया का राज्य सरकार की उपलब्धियों को लेकर शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक से बहस की चुनौती को इसी नजरिये से देखा जा रहा है।
कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह का कहना है कि राज्य में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। आम आदमी पार्टी के आने से कोई असर नहीं पड़ने वाला है। हम इस बात को लेकर चिंतित नहीं कौन आ रहा कौन जा रहा। हम मजबूत विपक्ष के नाते जनता की समस्याओं के लिए काम कर रहे।
राज्य भाजपा के प्रमुख बंशीधर भगत का कहना है कि डबल इंजन की सरकार में विकास तेजी से हो रहा है। जनता हर हाल में भाजपा सरकार के साथ खड़ी है।