एम्स में शुरू हुई एडवांस ट्रामा केयर फॉर नर्सिंग एटीसीएन नेशनल वर्कशॉप

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ऋषिकेश, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स में डिपार्टमेंट ऑफ ट्रॉमा सर्जरी की ओर से ट्रॉमा केयर पर आधारित एडवांस ट्रॉमा लाइफ सपोर्ट्र एटीएलएस और एडवांस ट्रॉमा केयर फॉर नर्सिंग एटीसीएन नेशनल वर्कशॉप शुरू हो गई है। इसमें चिकित्सकों के साथ ही नर्सिंग स्टाफ को भी शामिल किया गया है।

शनिवार से शुरू हुई वर्कशॉप में एम्स समेत देश के विभिन्न मेडिकल संस्थानों के विशेषज्ञ और प्रतिभागी चिकित्सक शिरकत कर रहे हैं। इस दौरान विशेषज्ञों ने सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए सुरक्षात्मक उपायों को नजरअंदाज करने को जीवन के लिए घातक बताया। उन्होंने कहा कि जनजागरुकता से ही दुर्घटनाओं में मृत्यु के ग्राफ को कम किया जा सकता है।
इस अवसर मुख्य अतिथि एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने तीन दिवसीय नेशनल ट्रॉमा केयर वर्कशॉप का विधिवत शुभारंभ किया। इस अवसर पर निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने जोर दिया कि जिस तरह से युद्ध से पूर्व सैनिक इसके लिए ट्रेनिंग पूरी कर दक्षता हासिल कर लेते हैं, ठीक उसी तरह आपातकालीन स्थितियों से पूर्व चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ का ऐसी स्थितियों से निपटने के लिए पूरी तरह से प्रशि​क्षित होना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि आपदाओं और सड़क दुर्घटनाओं के चलते ट्रॉमा से जुड़े मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, जो ​कि चिकित्सकों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं हैं। ऐसे में ट्रॉमा लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण चिकित्सकों के साथ ही नर्सेस के लिए भी जरूरी हो गया है। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने कहा कि इस प्रशिक्षण से आपदा एवं सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को सहायता मिलेगी और उनके जीवन की रक्षा हो सकेगी।
दिल्ली एम्स के पूर्व निदेशक प्रो. एमसी मिश्रा ने ऋषिकेश एम्स में स्टाफ और आमजन के लिए हेलमेट की ​अनिवार्यता को निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत को जीवन की सुरक्षा की दृष्टि से अहम एवं बड़ा कदम बताया।उन्होंने कहा कि, “रवि कांत अपने सकारात्मक दृष्टिकोण एवं विकासोन्मुखी सोच के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। ” उन्होंने अन्य एम्स के मुकाबले ऋषिकेश एम्स की प्रगति को कहीं अधिक बेहतर बताया। प्रो. मिश्रा ने बताया कि, “हर साल दुनिया में सड़क दुर्घटनाओं में 4.5 लाख लोग अपनी जान गवां बैठते हैं, इनमें 15 से 20 फीसदी घायलों की कुछ समय बाद मृत्यु हो जाती है।”
दुर्घटना के मामलों में अधिकांश मामले दुपहिया सवारों से जुड़े होते हैं, जो लोग हेलमेट का उपयोग करने में लापरवाही बरतते हैं। लिहाजा उन्होंने हेलमेट को दुपहिया वाहन सवारों के लिए अनिवार्य बताया। दुनियाभर में ट्रॉमा केयर पर प्रतिवर्ष 500 विलियन डॉलर खर्च होते हैं। आम लोगों पर ट्रॉमा केयर का बोझ बढ़ता जा रहा है। देश में कुल जीडीपी का 3 प्रतिशत ट्रॉमा केयर पर खर्च होता है जबकि हेल्थ केयर के लिए सरकार द्वारा किए गया बजट का प्रावधान मात्र 1.4 से 1.5 फीसदी है। ऐसे में ट्रॉमा केयर के लिए आम आदमी को ऋण का बोझ उठाना पड़ता है।