उत्तराखंड: नड्डा सुनेंगे धड़कन, रखेंगे नब्ज पर हाथ

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यूं तो भाजपा का विजयी रथ उत्तराखंड में तेज गति से दौड़ रहा है फिर भी भाजपा अपने संगठन की चुस्ती फुती में कतई कमी नहीं चाहती। इस लिहाज से 15 नवम्बर को पार्टी कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा का दून दौरा खासा अहम हो सकता है। पार्टी वैसे भी अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश कर रही है। इसके अलावा, 2022 में उसे विधानसभा चुनाव का सामना करना है। ऐसे में नड्डा उस राज्य में कोई कमी नहीं रखना चाहेंगे, जिसका चुनाव के दौरान वह पूर्व में कमान संभाल चुके हैं।
भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश में आएगी दौरे से तेजी
कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार 15 को आ रहे दून
चुनावी सियासत के लिहाज से भाजपा इत्मिनान कर सकती है कि वह अच्छा प्रदर्शन कर रही है। 2017 में विधानसभा और 2019 में लोकसभा चुनाव में उसकी जीत का परचम उत्तराखंड में लहराया है। इसके बीच नगर निकाय, उपचुनाव, पंचायत चुनाव को भी शामिल किया जाए तो भी भाजपा ही श्रेष्ठ पाटी बनकर बाहर निकली है। मगर इन चुनावों ने बीच-बीच में भाजपा को छोटे छोटे झटके देकर आगाह भी किया है। खासतौर पर निकाय, पंचायत चुनाव ने ये संदेश दिए हैं कि भले ही भाजपा नंबर वन पार्टी है, लेकिन वह हर जगह अपराजित रहे, ऐसा भी नहीं है। यही कारण रहा कि कोटद्वार और हरिद्वार जैसी नगर निगमों में भाजपा हार गई। इसी तरह चमोली, उत्तरकाशी जैसे जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भाजपा नहीं जीत पाई। थराली के उपचुनाव में भाजपा जीती तो सही, लेकिन उसे कड़ी टक्कर मिली।
भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि पार्टी को अपनी छोटी छोटी गलतियों को नजरअंदाज नहीं करना होगा। क्योंकि जरा सी भी हवा बदली तो ये छोटी छोटी गलतियां बड़ा झटका दे सकती हैं। जेपी नड्डा दो बार उत्तराखंड के चुनाव प्रभारी रह चुके हैं। वह उत्तराखंड की गली, कूचों, पगडंडियों से लेकर यहां के जनमानस के मिजाज तक से भली भांति परिचित है। ऐसे में माना जा रहा है कि संगठन को और तेजी देने के लिहाज से नड्डा का दौरा महत्वपूर्ण साबित होगा। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद पर अजय भट्ट को लोकसभा चुनाव से पहले एक्सटेंशन मिल गया था। सांसद बनने के बाद उनकी व्यस्तता बढ़ी है। ऐसे में नए अध्यक्ष को भी भाजपा जल्द से जल्द तलाश लेना चाहती है। नड्डा अपने दून दौरे में इस अहम बिंदु पर भी नजर रखेंगे।