खस्ताहाल व्यवस्थाओं से बदहाल होती मसूरी

0
704

पहाड़ों की रानी कही जाने वाली मसूरी अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के चलते सालों से पर्यटकों को लुभाती आ रही है। जिसके चलते न सिर्फ ये पर्लेयटन का एक केंद्र बना है बल्कि सरकार के लिये भी राजस्व का बड़ा जरिया है। लेकिन पिछले कुछ सालों से मसूरी में आने वाले पर्यटकों की संख्या तो लगातार बड़ रही है लेकिन यहां के होटल व्यवसाय से जुड़े लोगों की कमाी नहीं। अगर आप छुट्टियों में या वीकेंड पर मसूरी आयें तो शहर पहुंचने से काफी पहले से ही सड़कों के किनारे गाड़ियों की लंबी कतारें आप देख सकते हैं। ये कतारें इस बात को साबित करती हैं कि शहर में भारी संख्या में पर्यटक आ रहे हैं लेकिन इनकी तुलना में होटलों के कमरे नहीं बुक होते। इसका कारण बताते हुए होटल एंव रेस्टोरंट व्यावसाई संघ के अध्यक्ष संदीप साहनी कहते हैं कि मैं मानता हूं कि मसूरी सरकार के लिये राजस्व का बड़ा केंद्र है, ऐसे में सरकार को यहां के रखरकाव और सुविधाओं के विकास के लिये खास ध्यान देना चाहिये। पर्यटकों को पार्किंग की जगह  होने के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और बहुत से पर्यटक वापस देहरादून का रुख कर रहे हैं।”

मसूरी में लगभग आधा दर्जन कार पार्किंग हैं, जिसमें होटलों की कार पार्किंग भी हैं जिसकी क्षमता 1 हजार गाड़ियों की है वो भी यहां आ रहे गाड़ियों के रश को संभालने के लिये नाकाफी है। होटल व्यवसायी के नाखुश होने की वजह, एक तरफ कार की पार्किंग सड़कों के किनारे होती है तो दूसरी तरफ होटल के कमर खाली हैं। मसूरी आने वाले पर्यटकों में ज्यादातर लोग वापस जाना पसंद करते हैं चाहें उन्हें रास्ते में 4-5 घंटे का जाम भी क्यों ना मिले। जो लोग वापस नही जाते वो मसूरी के जहॉगह धनौल्टी, काङाताल, चंबा आदि जगहों पर चले जाते हैं जहां पार्किंग की फिलहाल इतनी दिक्कतें नही हैं।

मसूरी के मेयर मनमोहन मल्ला का कहना है कि, “मसूरी के हालात सुधारने के लिये सरकारें संजीदा नहीं हैं। मैसौनिक लॉज पर 25 करोड़ की लागत से एक पार्किंग का प्रावधान है जिसमें तक़रीबन 600-700 गाड़ियाँ आ सकती हैं लेकिन इसकी फ़ाइल पैसों की कमी के चलते रुकी है। वैसे ही लाइब्रेरी एंड पर भी एक पार्किंग बननी है पर ये फ़ाइल भी पर्यटन विभाग के पास पड़ी है।”

आज मसूरी बहुत से पर्यटकों का फेवरेट डेस्टिनेशन है जो उत्तराखंड राज्य की आर्थिक कमाई में मदद करता है। मसूरी की लोकल अर्थव्यवस्था भी यहां आने वले पर्लेयटकों पर निर्भर है लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि होटल व्यावसायी,दुकानदार और आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।