मसूरी के श्रीगुरु सिंह सभा गुरुद्वारा के सौ साल पूरे

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पिछले तीन दिनों से सुबह सुबह मसूरी में शबद कीर्तन की मधुर अावाज गूंज रहीं है जोकि पूरे दिन चलती है। रंगबिरंगी लाईटों से सजी मसूरी को देखकर ऐसा लगता है मानों दिवाली समय से पहले आ गयी हो, हिल-स्टेशन के सभी निवासी एक साथ आकर शहर के सबसे पुराने लन्ढौर गुरुद्वारे की 100वीं सालगिरह धूम-धाम से मना रहे हैं।

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साल 1960 में सिख समुदाय के लगभग 200 परिवारों में से अब कुछ ही बचे हैं जोकि  मसूरी को 4-5 पीढ़ियों से अपना घर मानते हैं। उनमे से एक है इंदरमीत सिंह, जिन्होने न्यूजपोस्ट से बातचीत में बताया कि, “यह गुरुद्वारा इस शहर के इतिहास का हिस्सा है और हम अपनी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। यह हमारे जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा है।” वहीं 45 साल के गुरमीत सिंह जो गुरुद्वारे में होने वाली तैयारियों में हाथ बटा रहें हैं बताते है कि, “हम अपने बड़ों से सीखते हैं और हमेशा यहीं कोशिश करते है कि हमारे आने वाली पीढ़ी भी इस परंपरा को आगे लेकर जाएं।”

मसूरी से संबंध रखने वाले सिख समुदाय के लोग दिल्ली,पंजाब और दूसरे कई शहरों से  तीन दिन का समय निकाल कर आर्शीवाद लेने लन्ढौर गुरुद्वारे पहुंचे हैं।

गुरुग्रंथ साहिब को पूरी साज-सज्जा के साथ शनिवार को मसूरी की संकरी गलियों से एक भव्य जूलुस निकाला जाएगा, जिसकी झलक और आर्शीवाद के लिए लोग दूर-दराज से बारिश और ठंड के बावजूद भारी संख्या में यहां पहुंचे हैं। इन सब की यह लगन काबीले तारीफ है, अौर अाने वाले  पीढ़ी के लिये एक मिसाल भी।