उत्तरकाशी हिमस्खलन हादसा: एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल के जज्बे को हर कोई कर रहा याद

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उत्तराखंड के उत्तरकाशी के लोंथरू गांव की एवरेस्ट विजेता पर्वतारोही सविता कंसवाल के जज्बे को आज हर कोई याद कर रहा है। सविता के माता-पिता ने कहा कि हमारा कोहिनूर हमेशा-हमेशा के लिए हमसे दूर चला गया। वह बखूबी परिवार की जिम्मेदारी को संभालती थी। एवरेस्ट विजेता सविता की मंगलवार को उत्तरकाशी के द्रोपदी डांडा-टू ग्लेशियर में हुए हिमस्खलन में मौत हो गई है। इसके अलावा छह अन्य के शव भी बरामद हुए हैं। अभी उनकी पहचान नहीं हुई है जबकि अब तक 14 घायलों को रेस्क्यू किया जा चुका है। अभी कई लोग वहां फंसे हुए हैं। राहत और बचाव कार्य जारी है।

इसी वर्ष एवरेस्ट सहित कई पहाड़ियों पर फहराया था तिरंगा-

आज सविता के हौसले और जज्बे को हर कोई न केवल याद कर रहा है अपितु उनकी इस तरह से हुई मौत से प्रदेश-देश और माउंटेनियरिंग की दुनिया की बहुत बड़ी क्षति बता रहा है। सविता ने इसी साल 2 मई को दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8848 मीटर) पर तिरंगा फहराया था। इसके 15 दिन के अंदर माउंट मकालू पर्वतों पर भी सफल आरोहण किया था।

मंगलवार देर शाम निम के प्रधानाचार्य अमित बिष्ट ने हादसे में एवरेस्ट विजेता सविता कंसवाल की मौत की पुष्टि की। उत्तरकाशी जनपद की एक उभरती हुई पर्वतारोही थीं। उन्होंने बेहद कम समय में पर्वतारोहण के क्षेत्र में अपना नाम बनाया था।सविता ने नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से एडवांस और सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स के साथ पर्वतारोहण प्रशिक्षक का कोर्स किया था।

सविता नेहरू पर्वतारोहण संस्थान की एक कुशल प्रशिक्षक थीं। माउंट एवरेस्ट सहित अन्य पहाड़ियों पर उनकी सफलता से उसके क्षेत्र और जनपद भर में खुशी की लहर थी। मंगलवार देर शाम सविता की मौत की खबर आने के बाद उसके गांव जनपद ही प्रदेश और देश में शोक की लहर फैल गई।

आर्थिक तंगी में गुजरा बचपन-

सविता का बचपन आर्थिक तंगी में गुजरा। चार बहनों में सबसे छोटी सविता वृद्ध पिता राधेश्याम कंसवाल और मां कमलेश्वरी देवी की देख रेख करने के साथ घर की जिम्मेदारियां भी बखूबी संभाल रही थीं। माता-पिता अपनी इस बेटी को कोहिनूर की तरह मानते थे। उन्होंने कहा कि हमारा हीरा हमेशा के लिए हमसे दूर चला गया है।

निम से किया था पर्वतारोहण का कोर्स

सरकारी स्कूल से पढ़ी सविता ने वर्ष 2013 में नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी से पर्वतारोहण का बेसिक कोर्स और फिर एडवांस व सर्च एंड रेस्क्यू कोर्स के साथ पर्वतारोहण प्रशिक्षक का कोर्स भी किया। कोर्स की फीस जुटाने के लिए सविता ने देहरादून की एक कंपनी में भी नौकरी की। वर्ष 2018 से सविता निम में बतौर प्रशिक्षक तैनात थीं।

उत्तरकाशी को रोशन करने वाले दीपक को नमन-

द्रोपदी का डांडा पर्वत चोटी पर हुए हिमस्खलन की दुःखद दुर्घटना में लोंथरू गांव निवासी उभरती हुई पर्वतारोही एवेरेस्ट विजेता हमारी बेटी सविता कंसवाल और इसी क्षेत्र की भुक्की निवासी नवमी रावत सहित अन्य प्रशिक्षक,प्रशिक्षुओं के कालकल्पित होने की हृदयबिदारक खबर मिली है। अभी-अभी तो इस होनहार और बहादुर बालिका ने माउन्ट एवरेस्ट और उसके समकक्ष पर्वत चोटियों को फतह कर दुनिया में हमारे उत्तरकाशी का नाम रोशन किया था लेकिन होनी के आगे सब विवश हैं। वाकई उत्तरकाशी ने आज अपना उभरता हुआ चमकता हीरा खो दिया है।

इस दुःखद क्षण में उनके माता पिता व परिजनों को गहरी संवेदना! भगवान उन्हें इस दारुण दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। मां भगवती इस बहादुर बिटिया को अपने श्री चरणों में स्थान दें।

-विजयपाल सिंह सजवाण ,पूर्व विधायक गंगोत्री।

उत्तरकाशी हिमस्खलन में क्या हुआ

सीमांत जनपद उत्तरकाशी में द्रोपदी का डांडा 2 पर्वत चोटी के पास हिमस्खलन हुआ। इसमें अभी तक 7 शव बरामद कर लिए गए हैं। डीजीपी के मुताबिक अभी तक 8 पर्वतारोहियों को सुरक्षित रेस्क्यू कर दिया गया है। अभी तक 25 लोग लापता बताए जा रहे हैं। बचाव और राहत कार्यों के लिए वायु सेना ने 2 चीता हेलीकॉप्टर तैनात किए हैं, अन्य सभी हेलीकॉप्टरों के बेड़े को किसी भी अन्य आवश्यकता के लिए स्टैंडबाइ पर रखा गया है।