तराई बीज विकास निगम में करोड़ों का घपला, मंत्री ने दिए एफआईआर के आदेश

0
1441

56 करोड़ के घाटे में चल रहे तराई बीज विकास निगम जो देश का सर्वश्रेष्ठ बीज निगम था और इसे 2015-2016 में ही 16 करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया है। यह नुकसान गेहूं बीज बिक्री में किया गया है। इस आशय की जानकारी कृषिमंत्री सुबोध उनियाल ने एक पत्रकार वार्ता में दी।

उनियाल ने बताया कि विश्व स्तरीय बीज बनाने वाले इस संस्थान को बर्बाद करने में नौकरशाहों का हाथ है। इसकी जांच के लिए अपर मुख्य सचिव डाॅ. रणवीर सिंह के नेतृत्व में एक जांच समिति गठित की गई थी। जिसमें कृषि निदेशक गौरी शंकर,आईजी गणेश मर्तोलिया तथा अपर सचिव सुनील पांथरी को शामिल किया गया था। इस समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें 10 लोगों को दोषी पाया गया है। इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी तथा मामले को एसआईटी को सौंपा जा सकता है।
मामले के मुख्य आरोपी अभियंता एवं बिक्री प्रभारी मार्केटिंग पीके चौहान जिनका 30 जून को रिटायरमेंट था को पहले ही सस्पेंड कर दिया गया है। जबकि तत्कालीन अध्यक्ष जीएस बिष्ट को भी जांच में शामिल किया गया है। अन्य लोगों में आरके. निगम कंपनी सचिव, दीपक पाण्डेय मुख्य बीज उत्पादन अधिकारी, एसके. लोहनी, उपमुख्य बिक्री अधिकारी, अजीत सिंह उप मुख्य विपणन अधिकारी, बीडी तिवारी मुख्य वित्तीय अधिकारी, शिव मंगल त्रिपाठी प्रशासनिक अधिकारी, जीसी. तिवारी लेखाकार, अतुल पाण्डेय अकाउंड अफसर का नाम शामिल है। वर्तमान में पीके चौहान निलंबित हैं, जबकि जीएस बिष्ट वर्तमान में कार्यरत नहीं फिर भी आरोपी हैं।
कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने जानकारी देते हुए बताया कि जो तराई निगम जो अन्तर्राष्ट्रीय बीज की प्रतिष्ठित कंपनी है और बीज के लिए आदेश मिलने पर 10 प्रतिशत अग्रिम जमा तथा 15 प्रतिशत यातायात खर्च मिलने के बाद बीज भेजती है। साथ ही साथ बीज फर्म तक पहुंचने पर 75 प्रतिशत बैंक गारंटी का चैक अथवा राशि प्राप्त कर ली जाती है। इस घपले घोटाले में किसी भी शर्त का अनुपालन किया गया। इतना ही नहीं विभागीय अधिकारियों ने बीज रखने के लिए स्टोर भी दिखाए। बीज का मूल दाम 3188 रुपये प्रति कुन्तल था, लेकिन उत्तर प्रदेश को यही बीज 2150 रुपये प्रति कुन्तल तथा बिहार को 2350 रुपये प्रति कुंतल भेजा गया, जो 17 दिसंबर 2015 को भेजा खराब बीज दिखाकर 14 जनवरी 2016 को एक नई योजना चलाई गई। जिसमें 2350 रुपये की संशोधित दरों पर दो कट्टे के साथ एक कट्टा मुफ्त दिया गया। यह योजना किसानों के लिए दिखाई गई लेकिन इसे बड़े ग्राहकों को दिया गया।
मंत्री का कहना है कि नियमानुसार एक जिले में एक एजेंसी ही हो सकती है,लेकिन किसी जिले में कई एजेंसिया बना दी गई तथा कई जिलों को छोड़ दिया गया। उत्तर प्रदेश में 10623.80 कुन्तल बीज भेजा गया, जबकि बिहार में 6209 कुंतल भेजा गया। जनवरी की नई योजना के अनुसार उत्तर प्रदेश में 29608 कुन्तल माल बेचा दिखाया गया, जबकि बिहार में यही 52272 कुन्तल बेचा बताया गया। जिन फर्मों को यह माल बेचा गया है, उनमें नेशनल हब बरेली, सांई बदर्स वाराणसी, कृषि सेवा केन्द्र फर्रुखाबाद के नाम शामिल है। इस बीज पर 63 प्रतिशत अनुदान दिखाया गया,जिससे इस अवधि में 16 करोड़ का घाटा हुआ है।
कृषि मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश में 10 वितरक, बिहार में 15 वितरक तथा पश्चिम बंगाल में एक वितरक कुल 26 वितरक दिखाए गए हैं। जिसमें भरपूर लूट खसोट की गई है और तराई बीज विकास निगम को 16 करोड़ का एक वर्ष में ही घाटा हुआ, जिस पर प्राथमिकी दर्जा कराई जा रही है और सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलेगा। कृषिमंत्री ने बताया कि इसी तरह बीज प्रमाणीकरण निगम ने भी अच्छा खासा झोल है। उनका कहना है कि वे इस संदर्भ में मुख्यमंत्री से भी चर्चा करेंगे और भ्रष्टाचारियों को नहीं बख्शा जाएगा।