खनन खुलने से प्रदेश की अर्थ व्यवस्था को लगेंगे पंख

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उत्तराखंड खनिज संपदा से संपन्न प्रदेश है। उच्च न्यायालय द्वारा खनन और चुगान पर रोक लगाई पर उच्चतम न्यायालय ने इसे खोल दिया। उत्तराखंड खनिज से संपन्न प्रदेश है। इसका प्रमाण अंग्रेजों द्वारा कराया गया सर्वेक्षण है।

उत्तराखंड 2000 में राज्य बनने के बाद आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हो पाया। इसका कारण यहां के क्षमता का दोहन न हो पाना है। अकेले अल्मोड़ा में स्टोन क्रशर के अनियमिताओं पर 06 लाख 93 हजार 570 रुपये का जुर्माना प्रशासन द्वारा लगाया गया। इसी तरह के एक नहीं दर्जनों घटनाएं हुई हैं। सरकार बदलने के बाद ही खनन क्षेत्र सरकार का खजाना भरने वाला साबित होने लगा है।
यह आज की स्थिति है लेकिन जानकार बताते हैं कि चूना पत्थर गढ़वाल के देहरादून, टिहरी, पौड़ी, चमोली में पाया जाता है। यही स्थिति कुमाऊ मंडल के अल्मोड़ा पिथौरागढ़ और नैनीताल हैं जहां चूना पत्थर मिलता है, जहां तक मार्बल पाए जाने की बात है उसके लिए दो ही जिले महत्वपूर्ण है इनमें देहरादून और टिहरी शामिल है।
यही स्थिति मैग्नेसाइट की है गढ़वाल मंडल के चमोली में मैग्नेसाइट का विशाल भंडार है। इसी प्रकार राज्य में खड़िया देहरादून, टिहरी ,पौड़ी, चमोली, नैनीताल जिले पाए जाते हैं। टिहरी, नैनीताल में भण्डार पाए जाते हैं। डोलोमाइट देहरादून, पिथौरागढ़ में पाया जाता है। सेलखड़ी देहरादून,टिहरी तथा पौड़ी गढ़वाल जिले में पाया जाता है, जिसका उपयोग रासायनिक उर्वरक के रूप में किया जाता है। गंधक की खोज सर्वप्रथम 1957 में चमोली,नंदप्रयाग, रूपगंगा घाटी में पाया जाता है।
जिप्सम टिहरी,पौढ़ी, नैनीताल तथा अल्मोड़ा में पाया जाता है,इसका उपयोग सीमेंट,अमोनियम सल्फेट उत्तराखंड में लोहा नैनीताल ,पौढ़ी ,टिहरी तथा अल्मोड़ा जिले में पाए जाते हैं। राज्य में तांबा चमोली,पौड़ी, टिहरी, देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा व पिथौरागढ़ जिले में पाया जाता है। अल्मोड़ा के झिरोली गांव,बागेश्वर थेलीपाटन में पाया जाता है। ग्रेफाइट अल्मोड़ा,पौड़ी गढ़वाल तथा नैनीताल व देहरादून में ग्रेफाइट पाया जाता है। सोना शारदा व रामगंगा के बालू में पाया जाता है, इसके अतिरिक्त अलकनंदा और पिंडर के बालू में मिलता है।
यूरेनियम राज्य के टिहरी गढ़वाल जिले में यूरेनियम की उपलब्धता के संकेत प्राप्त है। जल विद्युत योजनाएं बनीं या प्रस्तावित हुईं, केवल उन स्थानों का सर्वेक्षण हुआ, लेकिन उससे राज्य के पहाड़ों में कौन सी धातुएं तथा खनिज हैं,उसकी पूरी जानकारी नहीं प्राप्त हुई। भारत सरकार के इस क्षेत्र के सर्वेक्षण केवल सतही थे। उनसे सरसरी तौर पर केवल इतना पता लग सका कि उत्तराखंड के पहाड़ों में कौन-कौन से मुख्य खनिज हैं।
02 सौ वर्ष पूर्व जब यहां के निवासी अपने उपयोग के लिए तांबा गला कर बर्तन बनाते थे, जो अब तक इस्तेमाल हो रहे हैं। उस समय राज्य में बहुत बड़े और घने जंगल थे। पेड़ काटने पर कोई प्रतिबंध नहीं था। गांव वाले तब पेड़ काट उन्हें भट्टियों में जला, तांबें-लोहे के अयस्क गला उनसे अपनी आवश्यकता के बरतन खेती के ओजार तथा अन्य वस्तुएं बना लेते थे, लेकिन अब पेड़ काटना अपराध है ओर राज्य में बिजली इतनी नहीं है कि उसके द्वारा खनिजों को गलाया जा सके।
भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण विभाग ने अपनी 125वीं सालगिरह 1976 में मनाई थी। उस अवसर पर उसने उत्तराखंड के कुछ जिलों में मिली धातुओं तथा खनिजों पर बहुत छोटेए संक्षिप्त विवरण-पत्र प्रकाशित किए थेए जिनमें इन पहाड़ों में पाई जाने वाली चट्टानों को तीन भागों में बाँटा था। इसके मध्य की चट्टानों में ताँबा, सीसा तथा जस्ता मिलने की बात कही गई थी।
उस समय के दो ही विवरण पत्र मिल पाए हैं,चमोली तथा पौड़ी गढ़वाल जनपदों के जिनमें कहा गया कि चमोली जि़ल में चार प्रकार की चट्टानें पाई गई। जिनमें कुछ खनिजों के पाए जाने का विवरण है। इसके उत्तर में स्फ टिक पाए गए तथा जोशीमठ, पीपलकोटी, पोखरी तथा गौचर क्षेत्रों में ताँबा, सीसा तथा जस्ता मिला। दो शताब्दियों पूर्व मध्य हिमालय अपने तांबे तथा लोहे के लिए प्रसिद्ध था।
यहां अंग्रेजी राज्य के आरंभ 1815 तक तांबे की खानों में अच्छा काम होता था। गढ़वाल जिले में अभ्रक, गंधक, ग्रेफाइ़, जिप्सम, नीलम, विजोत्रा, शिलाजीत, गृह पाषाण जैसे अधातुक खनिजों को पाए जाने की संभावना थी। अच्छा अजबेस्तों, ऊखीमठ से कुछ दूर पर मिला था। लोहे के कारखाने की ईंटों को बनाने में वह प्रयोग होता था।
यहां सीसे की भी प्रचुरता थी लेकिन खानै दुर्गम स्थानों में थीं। यहां की नदियों के बालू में सोने के कण मिलते थे। अलकनंदा पिंडर ओर सोनगढ़ के अतिरिक्त लछमन झूला तक तथा रामगंगा की रेत में भी सोने के कण मिलते थे। धोणी लोग रेते की धुलाई कर सोने के कण निकाल लेते थे। रेत धुलाई का काम जनवरी से अप्रैल तक होता थाए जिसके लिए 25 रुपए शुल्क देना पड़ता था। धोणिए प्रति वर्ष पाँच.सात तोला सोना निकाल लिया करते थे। सोने का दाम तब 25 रुपये तोला था।
सचिव खनन शैलेश बगोली ने कहा कि खनन पर लगी रोक हटने से खासी राहत मिली है। इससे अब रुके निर्माण कार्य तेजी पकड़ेंगे। अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए सख्त नियम बनाए जा रहे हैं। विभाग इस तरह के कदम उठाएगा कि प्रदेश में कहीं भी अवैध खनन नहीं हो सकेगा।
संसदीय कार्य मंत्री प्रकाश पंत ने कहा कि प्रदेश में अवैध खनन पर रोक के लिए सरकार वर्ष 2001 की खनिज चुगान नीति को लागू करेगी। खनन पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद प्रकाश पंत ने कहा कि उच्च न्यायालय ने राज्य में पिछले 05 सालों में हुए धुआंधार अवैध खनन को रोकने के लिए निर्णय दिया था, लेकिन इससे हर तरह का खनन रुक गया। उच्चतम न्यायालय से इस मामले में सरकार को राहत मिल गई है। उन्होंने कहा कि सरकार पर्यावरण संरक्षण करते हुए उप खनिज चुगान के लिए नीति लाने जा रही है ताकि अवैध खनन पर पूरी तरह अंकुश लग सके।