कल्पना ने निधन के अपनी जीवन यात्रा पर लिखी थी किताब

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नई दिल्ली,  छोटे बजट की कलात्मक फिल्में बनाने वाली कल्पना लाजमी ने अपने निधन के कुछ दिन पूर्व ही असमिया कला संगीत के महानायक डॉ. भूपेन हजारिका के साथ अपनी जीवन यात्रा के अन्तरंग रिश्तों का अपनी किताब ‘भूपेन हजारिकाः एज आई नो हिम’ में खुलासा किया था।

कल्पना का परिचय भूपेन हजारिका से करीब 40 वर्ष पहले मुंबई में हुआ था जब वह केवल 17 वर्ष की थीं और भूपेन दा 45 वर्ष के। कल्पना उस समय कला साहित्य से अपरिचित थीं जबकि भूपेन दा कला साहित्य के शीर्ष पर थे। अगले चार दशक यह दोनों अपनी जीवन यात्रा में एक दूसरे के दख दर्द के भागीदार बने।

कल्पना की पुस्तक ‘भूपेन हजारिकाः एज आई नो हिम’ (जैसा मैंने उन्हें जाना) का कुछ दिन पहले ही विमोचन हुआ था, जिसमें बॉलीवुड की नामी गिरामी हस्तियों ने शिरकत की थी।

भूपेन दा ने कल्पना के साथ अपने (वैवाहिक) जीवन को कभी सार्वजनिक नहीं किया। वर्ष 2011 में जब उनका निधन हुआ तो अंतिम संस्कार में कल्पना ने जीवन साथी की तरह कर्मकांड में हिस्सा लिया। उसी समय उन्होंने खुलकर कहा था कि वह भूपेन दा की पत्नी हैं। भूपेन दा अपनी वसीयत में अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा कल्पना के नाम कर गए थे।

भूपेन दा और कल्पना का परिचय मुंबई में उस समय हुआ था जब भूपेन दा हृदय रोग से पीड़ित थे। कल्पना ने उनकी पूरी देख रेख की और अगले चार दशकों तक उनके साथ रहीं। यह विडंबना है कि जब कल्पना किडनी के कैंसर से पीड़ित हुईं तो उनकी देख-रेख उस तरह से नहीं हो पाई।

कल्पना लाजमी की बहुचर्चित फिल्म ‘रुदाली’ में भूपेन दा का गाना ‘दिल हूम हूम करे’ उस महान कलाकार की संगीत साधना का अप्रतिम उदाहरण बना। यह गाना भूपेन दा के चिर स्मरणीय गाना ‘गंगा बहती है क्यों’ की याद दिलाता है।