उत्तराखंड पर नड्डा की अनुभवी नजर, देंगे जीत का मंत्र

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जेपी नड्डा
पांच दिसम्बर से भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा अपने देशव्यापी प्रवास की शुरुआत उत्तराखंड से करने जा रहे हैं। सबसे पहले उत्तराखंड को अपने प्रवास का केंद्र बनाने वाले जेपी नड्डा इस पर्वतीय राज्य की राजनीति, खास तौर पर चुनावी राजनीति के बढ़िया जानकार हैं। 2022 के प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से पहले नड्डा उत्तराखंड भाजपा के कान में जीत का मंत्र फूंक देना चाहते हैं। इस लिहाज से उत्तराखंड में तीन दिन तक नड्डा की उपस्थिति के खास मायने बताए जा रहे हैं।
– सत्ता संग्राम के बाद 2017 के चुनाव में चुनाव प्रभारी रहे थे नड्डा
– पांच दिसम्बर से तीन दिनी उत्तराखंड प्रवास के खास मायने
उत्तराखंड और जेपी नड्डा के गहरे कनेक्शन की दो प्रमुख वजह नजर आती हैं। एक तो नड्डा उत्तराखंड के पड़ोसी ऐेसे हिमाचल प्रदेश से जुडे़ हैं, जिनकी भौगोलिक, सांस्कृतिक, सामाजिक समानता काफी हद तक समान है। इसलिए वह अध्यक्ष बनने से कहीं पहले से उत्तराखंड के मिजाज को जानते हैं। दूसरा नड्डा उत्तराखंड भाजपा के प्रभारी रह चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें ऐसे मौके पर यहां का चुनाव प्रभारी नियुक्त किया गया था, जबकि उससे पहले भाजपा और कांग्रेस के बीच जबर्दस्त सत्ता संग्राम हुआ था और राज्य की सियासत को बगावत, राष्ट्रपति शासन, मत विभाजन, शक्ति प्रदर्शन और न जाने क्या-क्या देखना पड़ा था। नड्डा के साथ धर्मेद्र प्रधान को भी भाजपा ने चुनाव में जिम्मेदारी दी थी लेकिन नड्डा ही सबसे प्रभावी भूमिका में दिखे थे। इससे पहले के एक विधानसभा चुनाव में भी नड्डा चुनाव प्रभारी नियुक्त किए गए थे। 2017 के चुनाव में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला और नड्डा को भी काफी हद तक जीत का श्रेय मिला।
जेपी नड्डा उत्तराखंड के छोटे बडे़ नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी जानते हैं तो यहां की भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक स्थितियों से भी वाकिफ है। 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाते वक्त उत्तराखंड भाजपा को नड्डा के इस अनुभव का लाभ मिलेगा। पांच दिसम्बर से नड्डा के तीन दिनी उत्तराखंड प्रवास से भाजपा अपने अध्यक्ष से महत्वपूर्ण मार्गदर्शन की उम्मीद कर रही है। ऐसा नहीं है कि भाजपा के भीतर गुटबाजी नहीं है, लेकिन क्षत्रपों के अलग-अलग प्रभावी भूमिकाओं में व्यस्त होने के कारण पार्टी इस वक्त अपेक्षाकृत सुकून की स्थिति में है। असंतोष और गुटबाजी पार्टी में जैसे ही कभी-कभार सिर उठा रही है, वैसे ही उसकी कमर तोड़ दी जा रही है। लाखी राम जोशी से जुड़ा प्रकरण इसका सबसे ताजा और प्रभावशाली उदाहरण है। केंद्रीय नेतृत्व की पहली पसंद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ गाहे बगाहेे उठती रहने वाली आवाज नड्डा के दौरे से कमजोर ही पड़ेंगी, ऐसा माना जा रहा है।
विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा संगठन और सरकार के स्तर पर पहले ही तमाम कार्यक्रमों का ऐलान करके यह जाहिर कर दिया गया है कि उसकी सक्रियता अब और ज्यादा बढ़ने वाली है। नड्डा का दौरा इसे और गति देने वाला ही साबित हो सकता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत लगातार कह रहे हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का दौरा उत्तराखंड भाजपा में नया उत्साह जगाएगा। विधानसभा चुनाव में भाजपा शानदार वापसी करेगी।