जहां चाह वहां राह को चरित्रार्थ करती देहरादून की गुनासीस जुनेजा

देहरादून: दून की रहने वाली गुनासीस जुनेजा एक ऐसे विद्याविद् परिवार से आती है जिसने अपने घर के सबसे युवा सदस्य को रचनात्मक क्षेत्र में जाने क प्रोत्साहित किया। बचपन में गुनासीस बड़ी होकर एक स्वतंत्रता सेनानी बनना चाहती थी और आज वो यह मानती है कि एक कलाकार होना स्वातंत्रता सेनानी जैसा ही है क्योंकि कला आपको अभिव्यक्ति की आजादी देती है।

हुनर में माहिर गुनासी, एक बेहतरीन डिजाइन रणनीतिकार है, इसके साथ ही वो एक स्वयं प्रशिक्षित इलस्ट्रेशन आर्टिस्ट भी है। उनकी कला अधिक्तर समस्याओं के रचनात्मक समाधान, साधारण को असाधारण रूप देने और जटिल चीजों को कला के माध्यम से बया करने पर केंद्रित होता है।

मुंबई के एच आर कॉलेज से मास कम्यूनिकेशन और अहमदाबाद के मुद्रा इंस्टिट्यूट ऑफ कम्यूनिकेशन से क्रियेटिव क्म्यूनिकेशन की डिग्री के साथ, गुनासीस की कला रचना और रणनीति का बेहतरीन तालमेल दिखाता है।

देश भर में कई एड ऐजेंसियों में क्रियेटिव स्ट्रेटिजिस्ट के तौर पर काम करने का बाद गुनासीस देहरादून अपने घर लौट आई है। पारंपरिक एडवर्टाइजिंग से अलग हटकर गुनासीस ने अपने हुनर का इस्तेमाल शिक्षा, रहनसहन और सामाजिक विकास के क्षेत्रों में किया है।

 

देहरादून में आयोजित उनकी पहली क्रियेटिव इल्सट्रेशन प्रदर्शनी और कार्यशाला को लोगों ने खूब सराहा। अन्य कृतियों के साथ-साथ इस प्रदर्शनी में “किंगडम ऑफ द वर्ल्डस” को दिखाया गया था। यह कृति अफ्रीकी और मुग़ल साम्राज्यों पर आधारित थी। अपने इन ख़ास कार्डों के बारे में गुनासीस बताती हैं कि “मैंने इस थीम को इसलिये चुना क्योंकि में पारंपरिक ताश के पत्तों पर मौजूद अंग्रेज़ी और फ़्रेंच छाप से अलग कुछ करना चाहती थी। “

अगर इस युवा कलाकार को उसकी कला व्यस्त नहीं रखती है तो वो सफ़र करना पसंद करती है। वो कहती है कि “मुझे अपने काम के लिये प्रेरणा सफ़र करने से मिलती है।”

गुनासी का काम इंस्टाग्राम पर: @gnotforgiraffe और फेसबुक पर: @Create with Gnotforgiraffe के नाम से मिल सकता है।