प्लास्टिक प्रतिबंध पर 13 जिलों के डीएम की ओर से प्रगति रिपोर्ट पेश नहीं करने पर की हाई कोर्ट नाराज

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    हाइकोर्ट

    हाई कोर्ट ने राज्य में प्लास्टिक पर पूर्ण प्रतिबंध व कूडा निस्तारण के मामले पर दायर जनहित याचिका में सुनवाई के बाद 13 जिलों के जिलाधिकारियों की ओर से अभी तक प्रगति रिपोर्ट पेश नही करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्हें प्रगति रिपोर्ट पेश करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है। पूर्व में कोर्ट ने सभी 13 जिलों के जिला अधिकारियों को निर्देश दिए थे उनके जिलों में फैले कूड़े का निस्तारण करें और प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें। जो आज तक किसी भी जिला अधिकारियों ने पेश नही की।

    कोर्ट ने हल्द्वानी मेडिकल कालेज, फारेस्टर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट सहित मंडी बाईपास रोड पर फैले कूड़े को लेकर नगर निगम कमिश्नर को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के साथ ही 28 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि क्यों न आपके के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही की जाय। कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि कावड़ मेले के दौरान वहां फैले कूड़े को लेकर अभी तक क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि राज्य में पर्वतारोहियों के लिए 30 चोटियां खोली गयी हैं वहां साफ सफाई और कूड़ा निस्तारण की क्या व्यवस्था की गई है। कोर्ट ने राज्य प्रदूषण बोर्ड को सभी चोटियों का पर्यावरणीय जांच कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

    मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार अल्मोड़ा हवलबाग निवासी जितेंद्र यादव ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि राज्य सरकार ने 2013 में बने प्लास्टिक यूज व उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई गई थी। लेकिन इन नियमों का पालन नही किया जा रहा है।

    2018 में केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स बनाए गए थे जिसमे उत्पादकर्ता, परिवहनकर्ता और विक्रेताओं को जिम्मेदारी दी थी कि वे जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे उतना ही खाली प्लास्टिक को वापस ले जाएंगे। अगर नही ले जाते हैं तो संबंधित नगर निगम, नगर पालिका व अन्य फंड देंगे, जिससे कि वे इसका निस्तारण कर सकें। लेकिन उत्तराखंड में इसका उल्लंघन किया जा रहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में प्लास्टिक के ढेर लगे हुए है और इसका निस्तारण भी नही किया जा रहा है। पक्षों की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रगति रिपोर्ट पेश करने के लिए अतिरिक्त समय दिया।