हाई कोर्ट ने सरकार के चारधाम यात्रा शुरू करने के फैसले पर रोक लगाई

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चारधाम
प्रदेश की नकारा नौकरशाही ने एक बार फिर हाई कोर्ट में तीरथ सरकार की फजीहत करा दी। बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और चारधाम यात्रा में कोविड प्रोटोकॉल पालन को लेकर नौकरशाहों के बार-बार दिए शपथ पत्रों से असंतुष्ट हाई कोर्ट ने 1 जुलाई से सीमित चारधाम यात्रा के सरकार के फैसले पर सोमवार को रोक लगा दी।
तीरथ सरकार ने 25 जून की कैबिनेट बैठक में सीमित चारधाम यात्रा शुरू करने का फैसला किया था। इसके तहत चमोली जिले के लोगों को बदरीनाथ धाम, रुद्रप्रयाग जिले के लोगों को केदारनाथ धाम और उत्तरकाशी के लोगों को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन की अनुमति दी गई थी। साथ ही सरकार 11 जुलाई से यात्रा के दूसरे चरण में बाकी प्रदेशवासियों के लिए चारधाम यात्रा खोलने की तैयारी में थी। हाई कोर्ट ने कैबिनेट फैसले पर रोक लगा दी है।
अब संभव है तीरथ सरकार सुप्रीम कोर्ट में सीमित चारधाम यात्रा पर स्टे के हाई कोर्ट के ऑर्डर को चुनौती दे। दरअसल प्रदेश में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं और चारधाम यात्रा में कोविड प्रोटोकॉल पालन में कुंभ के दौरान हुई चूक न दोहराई जाए, इसे लेकर हाई कोर्ट लगातार सरकार को वक्त दे रहा था कि वह अपनी तैयारियों से अदालत को संतुष्ट करें ताकि लोगों की सेहत से समझौता न हो।
सोमवार को सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव ओमप्रकाश, पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर और आशीष चौहान वर्चुअली उपस्थित हुए। चीफ जस्टिस आरएस चौहान की बेंच ने सरकार द्वारा दिए गए 177 पेज के शपथ पत्र पर असंतोष जाहिर किया। चीफ जस्टिस ने कहा कि सरकार ने रात 8:30 बजे एफिडेविट दिया। उसका उन्होंने देररात 2 बजे तक अध्ययन किया, लेकिन इसमें कई खामियां पाई गईं। मुख्य सचिव और पर्यटन सचिव ने हाइकोर्ट में कैबिनेट फैसले की ढाल लेने की कोशिश खूब की।
हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि अधिकारियों ने कैबिनेट को ही अधूरा प्रस्ताव भेजा, हाई कोर्ट क्या कह रहा है और क्या चाहता है चारधाम यात्रा तैयारियों को लेकर वो पूरे तथ्य कैबिनेट के सामने रखे ही नहीं गए। हाई कोर्ट ने प्रदेश की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था और कोविड प्रोटोकॉल को लेकर अधिकारियों की तदर्थ एप्रोच को लेकर फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने सवाल किया कि क्या हरिद्वार कुंभ के दौरान जो हुआ उसी को दोहराने दिया जाए चारधाम यात्रा में भी?
हाई कोर्ट ने पूछा कि जब कांवड़ यात्रा पर रोक लगा दी तब अपर्याप्त इंतजाम के साथ चारधाम यात्रा क्यों शुरू करना चाह रही सरकार? हाई कोर्ट ने तीसरी लहर के संभावित खतरे के मद्देनजर डेल्टा प्लस वेरिएंट को लेकर चिंता जाहिर करते हुए सरकार की ढुलमुल नीति की निंदा की।
मामले में एक याचिकाकर्ता और हाई कोर्ट अधिवक्ता अभिजय नेगी ने हाई कोर्ट के स्टे ऑर्डर पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि 1 जुलाई से चारधाम यात्रा के सरकार के फैसले पर स्थगन लगाने के अलावा हाइकोर्ट के पास कोई विकल्प ही नहीं बचा था। कोर्ट ने अधिकारियों को तारीख दर तारीख कई मौके दिए कमियों को दूर करने के लिए। वे या तो नाकाम रहे या जानबूझकर अधूरी जानकारियों के साथ अदालत के समक्ष आते रहे। मजबूरन हाई कोर्ट को कोरोना महामारी के खतरे से लोगों के जीवन को बचाने के लिए सख्त फैसला लेना पड़ा।