हरिद्वार, बुधवार से श्रावण मास शुरू हो गया है। इसी के साथ तीर्थनगरी भगवान शिव एवं कांवड़ियों के रंग में रंगने लगी है। श्रावण के प्रथम दिन तीर्थनगरी के सभी प्रमुख शिवालयों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।मंगलवार रात्रि लगे चन्द्र ग्रहण की बुधवार तड़के समाप्ति के पश्चात् लोगों ने गंगा में स्नान कर दान-पुण्य आदि कर्म किए, जिस कारण गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। ग्रहण की समाप्ति पर मंगलवार दोपहर बाद बंद हुए मंदिरों के कपाट भी बुधवार तड़के श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोले गए।
बुधवार से श्रावण मास का आरम्भ होने के कारण तीर्थनगरी के सभी शिवालयों में श्रद्धा का सैलाब उमड़ा। लोगों ने बहुविधि अपने आराध्य भगवान शिव का पूजन-अर्चन किया। भगवान शिव की ससुराल कहे जाने वाले दक्ष प्रजापति मंदिर में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही।
श्रावण मास सभी मासों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग तरीके से अभिषेक करने का विधान है। पं. देवेन्द्र शुक्ल शास्त्री के मुताबिक भगवान शिव को जल धारा अत्यधिक प्रिय है। इस कारण जो श्रद्धालु बहुविधि पूजन नहीं कर सकते वे केवल जल चढ़ाने मात्र से ही पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।
श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही धर्मनगरी हरिद्वार में कांवड़ यात्रा भी जोर पकड़ने लगी है। कांवड़ियों का गंगाजल भरने के लिए तीर्थनगरी में आगमन होना आरम्भ हो चुका है। इसी के साथ दूर-दराज के क्षेत्रों से आने वाले कांवड़िए गंगाली भरकर अपने गंतव्यों की ओर लौटने भी लगे हैं। जैसे-जैसे चतुर्दशी यानि जलाभिषेक का दिन नजदीक आता जाएगा कांवड़ यात्रा की रफ्तार भी बढ़ती जाएगी।
         
                



















































