मसूरी, “दीवारों पर दस्तक देते रहिएगा, दीवारों में दरवाज़े बन जाएँगे”, नेस्ले इंडिया और रीसिटी नेटवर्क द्वारा चलाए जा रहे हिलदारी आंदोलन की टीम ने डा. कुँवर बेचैन के इस शेर को चरितार्थ करने का बीड़ा उठाया है । म्यूज़ियम आफ गोवा की ओर से आई आर्टिस्ट हर्षदा केरकर के साथ मिलकर टीम ने मसूरी शहर की प्रमुख दीवारों पर सफाइकर्मियों के बड़े- बड़े चारकोल स्केच उकेरे हैं। इन कलाक्रतियों का उद्देश्य अलग- अलग प्रकार के सफाइकर्मी जैसे हाउसहोल्ड वेस्ट कलेक्टर, स्वीपर, रैग पिकर, सैनिटेशन वर्कर आदि के समाज के प्रति योगदान को सबके सामने लाना है ।
पिछले एक माह से गोवा से आई त्रेपन वर्षीय कलाकारा हर्षदा केरकर ने रात में प्रोजेक्टर से आक्रति बनाकर और सीढियों पर चढ़- चढ कर वेस्ट प्रोफेश्नल्स के चित्र बनाए हैं, और कई स्थानीय लोगों ने उनका सहयोग किया। उनके अनुसार ‘कड़ी मेहनत करने के बावजूद सफाइकर्मियों को उचित सम्मान नहीं मिल पाता । कुछ लोग इन्हें कूड़ेवाला कह देते हैं, जबकि ये सफाईवाले हैं । कूड़ेवाले तो हम लोग है । ऐसे में शहर की दीवारें केवल माध्यम हैं, मेरी असली दस्तक शहरवासियों और पर्यटकों के मन की दीवारों पर है।‘
लैन्डोर बाजार में कूड़ा इकठ्ठा करने वाली कृष्णा ने बताया कि, “माल रोड़ पर बने अपने बड़े से चित्र को देखकर उन्हें काफी गर्व हुआ ।”

हिलदारी की ओर से प्रोजेक्ट लीड अरविन्द शुक्ला ने भी आंदोलन की अभी तक की सफलता का बड़ा श्रेय सफाइकर्मियों को दिया और कहा कि, “ये मानचित्र सफाइकर्मियों के अधिकारों के प्रति जागृति लाने का प्रयास में एक बड़ा कदम है । ये असल में हमारे हीरो है और आंदोलन के अगले चरण में हिलदार सफाइकर्मियों के सामाजिक व आर्थिक जीवन स्तर में सुधार के लिए कई कदम उठाए जाएँगे, जिसके लिए म्यूजियम आफ गोवा जैसी कई संस्थाओ का सहयोग लिया जाएगा ।”
ज्ञात हो कि छ-माह से चल रहे हिलदारी आंदोलन का उद्देश्य मसूरी को देश के सबसे साफ हिल स्टेशन मे से एक बनाना है । इसके तहत नगर पालिका परिषद और कीन संस्थान के साथ मिलकर शहर के आठ वार्डों में 80 प्रतिशत कूड़ा गीले, सूखे और हानिकारक में सेग्रिगेट करके लिया जा रहा है। साथ ही दिल्ली की एक कंपनी के साथ मिलकर लो वैल्यू प्लास्टिक के निस्तारण की प्रक्रिया शुरु की जा चुकी है और 6.4 टन कूड़ा इकठ्ठा करके भेजा जा चुका है।





















































