कोरोना टेस्टिंग के फर्जीवाड़ा मामले में सरकार को केस डायरी पेश करने के निर्देश

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हाइकोर्ट

हाई कोर्ट ने कुंभ मेले में कोरोना टेस्टिंग के फर्जीवाड़े में लिप्त मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरत पंत, मलिका पंत व नलवा लैब के आशीष वशिष्ठ की ओर से दायर तीन अलग-अलग जमानत प्रार्थना पत्रों पर सुनवाई के बाद सरकार को 23 मार्च तक केस डायरी पेश करने के निर्देश दिए हैं।

सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि इनके द्वारा फर्जी टेस्टिंग की गई है और सरकार को 4 करोड़ रुपये का बिल भी दिया गया। इसका विरोध करते हुए अभियुक्तों के अधिवक्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उनके द्वारा कोई फर्जी टेस्टिंग नही की गई वे तो एकमात्र सर्विस एजेंसी थे। जो टेस्ट किए गए वे लाल चंदानी व नलवा लैब के द्वारा किए गए। नलवा लैब ने एक लाख चार हजार दो सौ सत्तावन और लाल चंदानी लैब ने 13 हजार टेस्ट किए। सरकार जांच में एक भी टेस्ट फर्जी साबित नही कर पाई। जबकि कोर्ट ने पूर्व में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी उसके बाद आईओ ने धारा 467 और बढ़ा दी। याचिका में कहा कि उनका इसमें कोई रोल नही है।

न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार शरत पंत, मलिका पंत व आशीष वशिष्ठ ने हाईकोर्ट में जमानत प्रार्थना पत्र दायर कर कहा था कि वे मैक्स कॉर्पोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर हैं। परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉर्पोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था। इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था। इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था, उसे अपनी मंजूरी दे दी। अगर कोई गलत कार्य कर रहा था तो कुंभ मेले के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे?

मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि कुंभ मेले के दौरान इनके द्वारा अपने को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट आदि कराए गए। 2021 को एक व्यक्ति ने सीएमओ हरिद्वार को एक पत्र भेजकर शिकायत की गयी थी कि कुंभ मेले में टेस्ट कराने वाले लैबों द्वारा उनकी आईडी व फोन नंबर का उपयोग किया है। जबकि उनके द्वारा रैपिड एंटीजन टेस्ट कराने के लिए कोई रजिस्ट्रेशन व सैम्पल नही दिया गया। पूर्व में कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।