उत्तराखंड: चुनाव से हरक की दूरी, सचमुच जरूरी या मजबूरी

0
449
उत्तराखंड की सियासत में अपने बेबाक अंदाज और उलटफेर करने की महारथ से हमेशा चर्चाओं में रहे कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत वर्ष 2022 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ना चाहते। श्रम मंत्रालय के अधीन कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से विदाई के बाद श्रममंत्री डाॅ. हरक सिंह रावत ने चुनाव से दूरी का बयान देकर नया राजनीतिक दांव चल दिया है। उनकी नाराजगी बोर्ड के पुनर्गठन और अपनी विदाई के कारण है, लेकिन उनका ताजा बयान 2022 के चुनाव से दूरी को लेकर सामने आया है।
-दबाव बनाने के लिए कहा-2022 में चुनाव नहीं लडूंगा
-2012 में कहा था मंत्री नहीं बनूंगा, फिर हो गए तैयार
2016 में हरीश रावत सरकार का तख्ता पलट करने के पूरे अभियान के हरक सिंह रावत प्रमुख सूत्रधार रहे हैं। नब्बे के दशक में भाजपा सरकार में पहली बार मंत्री बनने से हरक सिंह रावत के राजनीतिक जीवन की स्वर्णिम शुरुआत हुई थी, लेकिन ज्वाल्पा धाम में भाजपा संगठन के चुनाव के दौरान उनके समर्थकों की अराजकता और हंगामे के कारण छह साल के लिए उनका भाजपा से वनवास हो गया था। इसके बाद, कांग्रेस उनका नया ठिकाना बना, जहां पर वह नेता प्रतिपक्ष से लेकर कैबिनेट मंत्री तक बने।
मुख्यमंत्री बनने की महत्वकांक्षा रखने वाले हरक का जब 2012 में नंबर नहीं आया और विजय बहुगुण को कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री बना दिया गया, तो हरक ने ऐलान किया था कि वह मंत्री नहीं बनेंगे। कुछ दिन तक वह मंत्री पद से दूर रहे, लेकिन जब दबाव काम नहीं आया, तो फिर मंत्री पद उन्होंने स्वीकार कर लिया।
भाजपा में घर वापसी के बाद से हरक सिंह रावत एक दिन भी सहज नही हैं। उनके पास वन और श्रम जैसे अहम मंत्रालय हैं, लेकिन सख्त मिजाज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की देखरेख में हरक सिंह रावत कई मामलों में अपने मन की नहीं कर पा रहे हैं। ताजा मामला कर्मकार बोर्ड का है, जिसका पुनर्गठन कर दिया गया है। इसमें अब विभागीय मंत्री पदेन अध्यक्ष नहीं रहेंगे। हरक सिह रावत ने इस पूरे मामले में मीडिया की लाख कोशिशों के बावजूद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, लेकिन अब कह दिया है कि 2022 का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने मीडिया को यह तक जानकारी दी है कि वह अपने निर्णय से भाजपा के महामंत्री संगठन को भी अवगत करा चुके हैं। माना जा रहा है कि हरक पार्टी संगठन के जरिये सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में हैं। हरक के इस ऐलान पर न तो सरकार और न ही संगठन की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने आई है, लेकिन इसमें भाजपा के भीतर गरमाहट जरूर पैदा कर दी है।