हरीश रावत-केंद्र आमने सामने, दिल्ली में किया शक्ति प्रदर्शन

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चुनावों की घोषणां के साथ ही उत्तराखंड की राजनीतिक तस्वीर भी बदलती दिख रही है। कल तक राज्य के दौरों और ऩई योजनाओं के शिलान्यास में व्यस्त मुख्यमंत्री हरीश रावत गुरुवार को आंदोलन करते दिखे। दिल्ली के जंतर मंतर पर हरीश रावत ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं के साथ केंद्र सरकार द्वारा भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन मामले पर सरकार के खिलाफ धरना दिया। कांग्रेस का कहना है कि इस मामले में केंद्र जिस तरह राज्य पर फैसले को थोप रहा है, उससे संघीय व्यवस्था को चोट पहुंच रही है। उधर, मुख्यमंत्री हरीश रावत ने फिर दोहराया कि भागीरथी इको सेंसिटिव जोन का राजनीति से लेना-देना नहीं है। उन्होंने आवाज नहीं उठाई तो जनता को हमेशा शिकायत रहेगी। इससे पहले भी कांग्रेस सरकार कहती रही है कि:

  • राज्य सरकार द्वारा भारत सरकार को पूर्व में प्रेषित भागीरथी ईको सेंसिटिव जोन के जोनल मास्टर प्लान को यथावत रखकर उसी पर बल दिया जाय।
  • प्रकरण में भारत सरकार/राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ¼NGT½ द्वारा राज्य के हितों के विपरीत निर्णय दिये जाने की दशा में, निर्णयों का विरोध औचित्यपूर्ण आधार के साथ मा. उच्चतम न्यायालय में अपील योजित करके किया जाये।
  • अन्य हिमालयी प्रदेशों में जल विद्युत परियोजनाओं को स्थापित किये जाने हेतु दी गई  व्यवस्था के अनुरूप ही उत्तराखण्ड राज्य को भी अनुमति प्रदान की जाये अन्यथा की स्थिति में केन्द्र सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति स्वरूप राज्य को विद्युत आपूर्ति की जाये। इस सम्बन्ध में भारत सरकार से अनुरोध कर लिया जाये।
  • राज्य द्वारा पर्यावरण कानूनों का पूर्ण पालन करते हुए ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए सराहनीय प्रयास किये गये हैं तथा इस हेतु राज्य सरकार को ग्रीन बोनस दिये जाने के सम्बन्ध में भारत सरकार से अनुरोध कर लिया जाये।
  • अन्य हिमालयी प्रदेशों के ईको सेंसिटिव जोन में भू-उपयोग परिवर्तन राज्य सरकार स्तर पर किये जाने की व्यवस्था दी गई है। स्टीप स्लोप के सम्बन्ध में देशभर में लागू इण्डिन रोड कांग्रेस स्टैण्डर्ड – आई.आर.सी. 73 को लागू किया गया है। उक्त के समान ही भू-उपयोग परिवर्तन एवं स्टीप स्लोप के मानकों को भागीरथी ईको सेंसिटिव क्षेत्र में भी लागू किया जाये।
  • Western Ghat Eco Sensitive Zone, महाराष्ट्र एवं अन्य हिमालयी प्रदेशों के लिये जारी किये गये ईको सैंसिटिव जोन की अधिसूचनाओं के अनुरूप ही विकास हेतु पर्यावरण मानकों में प्राप्त छूट के समान ही प्रदेश को प्रदान की जाये।

इस मौक़े पर कांग्रेस ने अपना राजनीतिक दम दिखाने में कोई कसर नही छोड़ी। प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, सासंद प्रदीप टम्टा, कांग्रेसी विधायक और समर्थक सभी भारी संख्या में मौजूद रहे। चुनावी रण का आगाज़ हो गया है और भागीरथी इको सेंसिटिव जोन को चुनाव के मौके पर सियासी मुद्दा बनाने की कोशिश में कांग्रेस जुट गई है। अपने जीवन की शायद अबतक की सबसे कांटे की लड़ाई सड़ रहे हरीश रावत के लिये अपने चुनावी तरकश में तीरों को धार देने का समय आ गया है।