गुरुमुख कौर व गुरु शब्द की परमार्थ निकेतन से ली विदाई

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परमार्थ निकेतन से कुण्डलिनी योग के विख्यात योगाचार्य गुरुमुख कौर और योगाचार्य गुरुशब्द ने प्रस्थान से पूर्व परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती से भेंट कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

स्वामी ने कुण्डलिनी योग की पूरे विश्व में ज्योति जलाने के लिए दोनों योगाचार्यों का अभिनन्दन कर शिवत्व का प्रतीक रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया। उन्हें परमार्थ निकेतन में आयोजित आगामी अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सहभाग करने के लिए भी आमंत्रित किया। योगाचार्य गुरुमुख कौर और योगाचार्य गुरुशब्द ने आमंत्रण को स्वीकार करते हुए पूरे कुण्डलिनी दल के साथ भाग लेने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कुण्डलिनी योगाचार्य गुरुमुख कौर और योगाचार्य गुरुशब्द से चर्चा के दौरान कहा कि कुन्डलिनी योग विस्तार के साथ भारत के विचार और संस्कार पूरे विश्व में फैलें क्योंकि भारत की संस्कृति ही जीवन का आधार है। भारतीय संस्कृति ही संबंधों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है क्योंकि ये परिवार की संस्कृति है, संस्कारों की संस्कृति है। जीवन में व्यवहार और परिवार के मध्य सामंजस्य की प्रेरणा देती है।

स्वामी ने कहा ‘अब समय आ गया है कि कुण्डलिनी योग के साथ प्रकृति और पर्यावरण के प्रति करुणा और संवेदनामय योग का आरम्भ भी किया जाए। अब जीवन को पर्यावरण योग के साथ जोड़कर जिया जाए तथा यह संदेश पूरे विश्व में प्रसारित करें। उन्होंने कहा कि जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने, जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने, स्वस्थ और सेहतमंद रहने के लिए योग नितांत आवश्यक है। परन्तु जिंदगी के लिए, जिंदा रहने के लिए पेड़-पौधों से प्राप्त अॉक्सीजन के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। अतः हमारा प्रथम कर्तव्य है कि प्रकृति को सेहतमंद रखे। उन्होंने योगाचार्य गुरुमुख कौर और योगाचार्य गुरुशब्द को ’जहां जाएं पर्यावरण योग अवश्य कराएं’ संकल्प कराया। दोनों आचार्यो ने संकल्प को गुरु के आशीर्वाद के रूप में ग्रहण कर कुण्डलिनी योग के साथ पर्यावरण एवं जल संरक्षण का संदेश प्रसारित करने हेतु आश्वस्त किया।