पहाड़ों पर बनेंगी प्लास्टिक की सड़कें!!!!

पिछले साल सितंबर से अल्मोड़ा की ग्री हिल्स संस्था कुछ ऐसा करने में लगी है जो पहाड़ों को प्लास्टिक जैसे खतरे से बचाने में कारगर साबित हो सकता है। ये है प्लासटिक कचरे से सड़के बनाना। जी हां सुनने में ये अटपटा ज़रूर लग सकता है मगर प्लास्टिक कचरे को अल्मोड़ा के सभी 11 वार्डों और आसपास के गांवों से ये संस्था जमाकर रही है। 6 वेस्ट कलेक्टरों और एक सुपरवाइजार की टीम अबतक 7 टन से अधिक वेस्ट प्लास्टिक इकट्ठा करने में कामयाब रही है जो मुख्य रूप से पैकेजिंग में काम आती है। पहले से निर्धारित सप्ताह में एक दिन में एक बार, वेस्ट कलेक्टर प्लास्टिक वेस्ट को इकट्ठा करने के लिए लोगों तक जाते हैं। जिसके बाद अल्मोड़ा नगर पालिका द्वारा निर्धारित एक कमरे में इस प्लास्टिक इकट्ठा किया जाता है।

आपको बतादें कि पहले इकट्ठा किए हुए प्लास्टिक वेस्ट को मशीन की मदद से छोटे टुकड़ों में काटा जाता है।इन छोटे काटे हुए टुक़ड़ों को गर्म बजरी के साथ मिलाया जाता है और आखिरी में इस मिश्रण को डामर यानि की अस्फ़ाल्ट के साथ मिलाया जाता है।प्लास्टिक,बजरी और डामर का यह मिश्रण सड़क बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

अल्मोड़ा का लोक निर्माण विभाग और इंजीनियर मनोज कुमार पांडे वेस्ट प्लास्टिक मैनेजमेंट में संगठन का मार्गदर्शन कर रहे हैं। इस वक्त पिल्खा-पटिया रोड के 700 मीटर के स्ट्रेच को दोबारा शुरू किया जा रहा है। प्लास्टिक कचरे से बनने वाली सड़क की कुल लंबाई 2.5 किमी होगी और इसको वेस्ट प्लास्टिक से बनाने के लिए योजनाएं चल रही हैं।

ग्रीन हिल्स की सचिव वसुधा पंत, हमें बताती हैं कि “स्विस एजेंसी फॉर डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन से वित्तीय सहायता के बाद जुलाई 2017 के बाद से हमने प्लास्टिक कचरे पर एक पायलट परियोजना शुरू की और सड़क निर्माण में इसका उपयोग करना शुरू किया। हम सभी जानते हैं कि इस समय प्लास्टिक कचरा एक असली चुनौती है। यह मिट्टी, समुद्री जीव, मानव स्वास्थ्य, और प्राकृतिक जल निकासी (पहाड़ों में) के लिए एक खतरा है।”

अल्मोड़ा में प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना के इंजीनियर भी इससे प्रेरित हुए हैं और पहाड़ियों से प्लास्टिक कचरे को लाने और सड़क निर्माण के लिए इसका उपयोग करने के अपने परीक्षण को शुरू करने के विचार कर रहे हैं।अगर यह योजना सफल होती है तो न केवल प्लास्टिक कचरे को कम करने, रीसाइक्लिंग और दुबारा उपयोग करने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे हमारे पहाड़ फिर से हरे-भरे और साफ सुथरा हो जाऐंगे।

अल्मोड़ा स्थित संगठन ग्रीन हिल्स, पिछले 4 सालों से पर्यावरण संरक्षण और सस्टेनेबल डेवलपमेंट के व्यापक दृष्टिकोण के साथ-साथ पहाड़ी क्षेत्रों में वेस्ट मैनेजमेंट पर भी काम कर रहा है। इसमें रिजेक्ट(अस्वीकार)करना, कम (रेड्यूज) करना, पुन: उपयोग करना(रियूज़) और रिसाइकल करने के क्षेत्र में यह मुख्य रुप से काम कर रहे हैं।

तीन सदस्यों और 50 से अधिक अनौपचारिक टीम-साथियों के एक कोर समूह के साथ, ग्रीन हिल्स का मानना है कि जब तक कचरे का खत्म करने का करने के लिए कोई समाधान नहीं मिलता है, तब तक इसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने और इसे एक नई जगह पर डंप करने का कोई फायदा नहीं है।

अपने इन्हीं सिद्धांत पर काम करते हुए अब इस संगठन ने छात्रों को भी अपनी इस मुहिम में शामिल करना शुरु कर दिया है। संगठन में शामिल हुए युवाओं के साथ मिलकर ग्रीन हिल्स रैली और डोर-टू-डोर कैंपेन के माध्यम से लोगों को जागरुक कर रहा है।